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अमेरिकी कोर्ट से भगोड़े नीरव मोदी को फिर झटका, धोखाधड़ी के आरोप खारिज करने की याचिका नामंजूर

Renuka Sahu
19 Oct 2021 5:56 AM GMT
अमेरिकी कोर्ट से भगोड़े नीरव मोदी को फिर झटका, धोखाधड़ी के आरोप खारिज करने की याचिका नामंजूर
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फाइल फोटो 

भारत के बैंकों का कर्ज लेकर भागे हीरा कारोबारी नीरव मोदी को अमेरिका के न्‍यूयॉर्क की एक कोर्ट से बड़ा झटका लगा है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारत के बैंकों का कर्ज लेकर भागे हीरा कारोबारी नीरव मोदी (Nirav Modi) को अमेरिका (United States) के न्‍यूयॉर्क की एक कोर्ट (New York Court) से बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने नीरव मोदी और उसके सहयोगियों की ओर से धोखाधड़ी के आरोप खारिज करने को लेकर दायर की गई याचिका नामंजूर कर दी है.

भगोड़े कारोबारी नीरव मोदी पर ये आरोप कोर्ट की ओर से तीन अमेरिकी कॉरपोरेशन फायरस्टार डायमंड, फैंटेसी इंक और ए जाफ के ट्रस्टी के रूप में नियुक्त किए गए रिचर्ड लेविन की ओर से लगाए गए थे. ये तीनों कॉरपोरेशन पहले नीरव मोदी के स्वामित्व में थे. लेविन ने नीरव मोदी और उसके सहयोगियों मिहिर बंसाली और अजय गांधी के कर्जदारों को हुए नुकसान के एवज में न्यूनतम 1.5 मिलियन डॉलर का मुआवजा भी मांगा था.
सदर्न डिस्ट्रिक्ट ऑफ न्यूयॉर्क बैंकरप्सी कोर्ट के जज सीन एच लेन ने पिछले शुक्रवार को यह आदेश जारी किया. इससे भारतीय भगोड़े और उसके साथियों को बड़ा झटका लगा है. इस मामले में भारतीय अमेरिकी वकील रवि बत्रा ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि जज ने एक स्पष्ट फैसले में नीरव मोदी, बंसाली और अजय गांधी के खिलाफ लगाई गई अमेरिकी ट्रस्टी रिचर्ड लेविन की संशोधित शिकायत को खारिज करने के प्रस्तावों को नामंजूर कर दिया.
60 पन्नों के कोर्ट आदेश के बारे में बताते हुए वकील रवि बत्रा ने कहा कि नीरव मोदी ने पंजाब नेशनल बैंक और अन्य बैंकों से 1 अरब डॉलर से अधिक की धोखाधड़ी करने के लिए एक योजना बनाकर स्टॉक मूल्य/कंपनी मूल्यांकन को झूठे रूप से बढ़ाने के लिए अतिरिक्त बिक्री के रूप में अपनी कंपनी में अपना मुनाफा वापस कर दिया. बत्रा ने कहा कि लेकिन बैंक धोखाधड़ी द्वारा अपनी कंपनियों से गलत तरीके से प्राप्त धन को प्राप्त करने के लिए उन्होंने व्यक्तिगत लाभ के लिए उन निकासी को छिपाने के लिए एक अलग धोखाधड़ी की. जैसे कि वे सामान्य व्यावसायिक लेनदेन थे.
कोर्ट के आदेश के अनुसार लेविन की याचिका में नीरव मोदी और उनके दो सहयोगियों से उनकी छह साल की अंतरराष्ट्रीय धोखाधड़ी, मनी लॉन्ड्रिंग और गबन योजना के नतीजतन देनदारों और उनकी संपत्ति पर हुए नुकसान के लिए हर्जाना वसूलने की मांग की गई थी.
जानकारी दी गई है कि 2011 की शुरुआत से 2018 की शुरुआत तक नीरव मोदी और उसके सहयोगियों ने पीएनबी सहित कई बैंकों से झूठे बहाने और बिना जमानत के कर्ज, क्रेडिट या अन्य प्रकार से धन प्राप्त करने के लिए एक योजना बनाई और उसे अंजाम दिया.
बता दें कि इससे पहले सितंबर के अगस्‍त के अंत में मुंबई की एक विशेष अदालत ने भगोड़े नीरव मोदी की कंपनियों की 500 करोड़ रुपये की संपत्तियों का कब्जा पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) को देने की अनुमति दी थी. लगभग दो सप्ताह की अवधि में यह तीसरा ऐसा आदेश था, जिसमें नीरव मोदी की कंपनियों के स्वामित्व वाली लगभग 1,000 करोड़ रुपये की संपत्तियों का इस तरह कब्जा प्रदान किया जा चुका है.
नीरव मोदी को दिसंबर 2019 में भगौड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया गया था जबकि उसके रिश्तेदार मेहुल चोकसी पर पीएनबी के साथ 14,000 करोड़ रुपये की कर्ज की धोखाधड़ी करने का आरोप है. प्रवर्तन निदेशालय ने इन दोनों की कई संपत्तियों को जब्त किया है. नीरव मोदी वर्तमान में ब्रिटेन की जेल में है और भारत में प्रत्यपर्ण के मुकदमे का सामना कर रहा है.


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