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पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग को मिला सम्मान, स्वीडन ने जारी किया डाक टिकट

Deepa Sahu
14 Jan 2021 4:53 PM GMT
पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग को मिला सम्मान, स्वीडन ने जारी किया डाक टिकट
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जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने गुरुवार को एक खास उपलब्धि हासिल की।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने गुरुवार को एक खास उपलब्धि हासिल की। दरअसल, स्वीडन ने 18 साल की ग्रेटा पर डाक टिकट जारी किया है। इस मामले में स्वीडन की डाक कंपनी पोस्टनॉर्ड ने अपने एक बयान में कहा, 'डाक टिकटों पर जो चित्र दर्शाए गए हैं, उससे हमारे इरादे साफ झलकते हैं। पर्यावरण का मुद्दा प्रासंगिक है और यह कई वर्षों से मौजूद है। ग्रेटा के माध्यम से हम इसमें और मजबूती प्रदान कर सकते हैं।' बता दें कि इस स्टांप पर ग्रेटा को पीले रेनकोट में एक चट्टानी तट पर खड़े पक्षियों के झुंड में दिखाया गया है। दरअसल, यह पर्यावरण पर केंद्रित एक श्रृंखला का हिस्सा है।इसका थीम 'मूल्यवान प्रकृति' हैं। इसे स्वीडिश कलाकार हेनिंग ट्रोलबैक द्वारा चित्रित किया गया है। इसकी कीमत 12 क्रोनर ($ 1.40) है। यह 14 जनवरी यानी आज से उपलब्ध है।

18 साल की ग्रेटा जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को लेकर काफी सजग रहती हैं। बीते कुछ साल पहले संयुक्त राष्ट्र में जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर ग्रेटा थनबर्ग के सवालों ने दुनियाभर के नेताओं को झकझोर दिया था। ग्रेटा ने युवा पीढ़ी की आवाज को दुनिया के सामने रखते हुए कहा था कि हमें समझ आ रहा है कि जलवायु परिवर्तन पर आपने हमारे साथ धोखा किया है और अगर आपने कुछ नहीं किया तो युवा पीढ़ी आपको माफ नहीं करेगी। ग्रेटा के इस भाषण के बाद दुनियाभर में उनकी चर्चा होने लगी। उन्हें जलवायु परिवर्तन की बुलंद करने की आवाज के रूप में देखा जाने लगा।

वर्तमान समय में लोग जलवायु परिवर्तन को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं, लेकिन ग्रेटा के वैश्विक नेताओं से चुभने वाले सवालों को पूछकर उन्हें इस मुद्दे पर विचार करने को मजबूर किया है। वह अपना विद्यालय छोड़कर लोगों को पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारियों का अहसास दिलाने का काम करती हैं। साथ ही ग्रेटा दुनियाभर में जलवायु परिवर्तन को लेकर कार्य करती है। वह अमेरिका से लेकर लंदन और फ्रांस में लोगों को जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक करने में लगी हुई हैं।

बता दें कि ग्रेटा ने 'स्कूल हड़ताल' करते हुए स्वीडिश संसद भवन के सामने धरने पर बैठ गई थी। उस समय ग्रेटा की उम्र महज 16 साल थी। उसके इस अभियान को अन्य विद्यार्थियों का भी जमकर सपोर्ट मिला था। इतना ही 18 साल की इस जलवायु कार्यकर्ता ने भारत के प्रधानमंत्री मोदी से भी जलवायु परिवर्तन रोकने की दिशा में कुछ गंभीर कदम उठाने की मांग की थी।


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