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फाइल फोटो
दुबई सरकार ने कहा कि पर्यावरण संबंधी चिंता के कारण उसकी मंशा दो साल के अंदर प्लास्टिक बैग के इस्तेमाल को गैरकानूनी घोषित करने की है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दुबई सरकार ने कहा कि पर्यावरण संबंधी चिंता के कारण उसकी मंशा दो साल के अंदर प्लास्टिक बैग के इस्तेमाल को गैरकानूनी घोषित करने की है। सरकार द्वारा संचालित दुबई मीडिया कार्यालय से जारी एक बयान में कहा गया है कि शुल्क एक जुलाई से लगाया जाएगा।
दुबई, एपी। दुबई सरकार ने सोमवार को शहर में प्लास्टिक बैग के इस्तेमाल पर शुल्क वसूलने की घोषणा की। सरकार ने कहा कि पर्यावरण संबंधी चिंता के कारण उसकी मंशा दो साल के अंदर प्लास्टिक बैग के इस्तेमाल को गैरकानूनी घोषित करने की है। सरकार द्वारा संचालित दुबई मीडिया कार्यालय से जारी एक बयान में कहा गया है कि 25 फिल शुल्क (छह सेंट) एक जुलाई से लगाया जाएगा।
सरकार ने कहा, 'प्रदूषण रोकना अब वैश्विक स्तर पर अनिवार्य हो गया है। समाज के व्यवहार को इस तरह से बदला जाना है जिससे पर्यावरण प्रदूषण में व्यक्ति के योगदान को कम किया जा सके।' सरकार ने कहा कि ऊंट और कछुए प्लास्टिक से मर रहे थे, इसलिए यह प्रतिबंध जरूरी था। गगनचुंबी इमारतों वाले शहर में कुछ किराना स्टोर पहले से ही लोगों को खरीदारी के समय दोबारा इस्तेमाल करने योग्य बैग लाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। गगनचुंबी इमारतों वाले दुबई शहर में कुछ किराना स्टोर पहले से ही लोगों को खरीदारी के समय दोबारा इस्तेमाल किए जा सकने वाले बैग लाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।
कोरोना वायरस महामारी से फैला 80 लाख टन प्लास्टिक कचरा
पिछले साल के अंत में हुए एक शोध के अनुसार कोरोना महामारी की वजह से दुनियाभर में 80 लाख टन प्लास्टिक कचरा निकला है। इसमें से 25,000 टन प्लास्टिक कचरा महासागरों में जा चुका है। नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज जर्नल में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, महासागर में एकत्र हुआ ये प्लास्टिक कचरा अगले तीन से चार सालों में लहरों के जरिए समुद्र के किनारे आने की उम्मीद है। मलबे का एक छोटा हिस्सा समुद्र में चला जाएगा। जो अंततः महासागर के बेसिन के केंद्रों में फंस जाएगा। इस वजह से आर्कटिक महासागर में ढेर सारा कचरा जमा हो सकता है। जो दुनिया के लिए एक नई परेशानी का सबब बन सकता है।
शोधकर्ताओं ने जिक्र किया है कि कोविड-19 महामारी ने फेस मास्क, दस्ताने और फेस शील्ड जैसे सिंगल यूज वाले प्लास्टिक की मांग में बढ़तोरी हुई है। लिहाजा इस कचरे का कुछ हिस्सा नदियों और महासागरों में चला गया जिसने पहले से ही नियंत्रण से बाहर वैश्विक प्लास्टिक समस्या पर दबाव बढ़ा दिया है।
Renuka Sahu
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