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Deep Space Atomic Clock: यह घड़ी कैसे बदल देगी भावी अंतरिक्ष यात्राएं, जानिए

Rani Sahu
2 July 2021 1:22 PM GMT
Deep Space Atomic Clock: यह घड़ी कैसे बदल देगी भावी अंतरिक्ष यात्राएं, जानिए
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अंतरिक्ष में पिंडों के नेविगेशन के लिए खास तरह की घड़ियों की जरूरत होती है

अंतरिक्ष में पिंडों के नेविगेशन के लिए खास तरह की घड़ियों की जरूरत होती है जिन्हें परमाणु घड़ियां (Atomic Clock) कहते हैं. अंतरिक्ष में रोबोटिक अन्वेशषकों के नेविगेशन और जीपीएस सैटेलाइट (GPS Satellite) संचालन को बेहतर बनाने के लिए वैज्ञानिक लंबे से गहरे अंतरिक्ष के लिए परमाणु घड़ी (Deep Space Atomic Clock) पर काम कर रहे हैं. इस कड़ी में नासा के वैज्ञानिकों ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है. उन्होंने इस परमाणु घड़ी को उन्होंने वर्तमान में उपयोग मे लाई जा रही अंतरिक्ष के लिए परमाणु घड़ियों की तुलना मे 10 गुना ज्यादा स्थायित्व दे दिया है. वर्तमान की ये परमाणु घड़ियां जीपीएस सैटेलाइट में इस्तेमाल की जा रही हैं.

वैज्ञानिकों का कहना है कि परमाणु घड़ियां Atomic Clock) गहरे अंतरिक्ष अन्वेषण और वैश्विक नेविगेशन सैटेलाइट तंत्र (Global Navigation Satellite System) के लिए बहुत जरूरी हैं. उन्होंने अब अंतरिक्ष के लिए परमाणु घडियों का ज्यादा लंबे समय तक लगातार समय मापने की क्षमता को बेहतर कर लिया है. हालांकि अंतरिक्ष की परमाणु घड़ियां कम स्थायित्व के साथ ही वैश्विक नेविगेशन की तकनीक पर काम कर रही थीं, उन्हें गहरे अंतरिक्ष के नेविगेशन (Space Navigation) के लिए उपयोग में नहीं लाया जा सकता था.
वैज्ञानिकों का कहना है कि परमाणु घड़ियां Atomic Clock) गहरे अंतरिक्ष अन्वेषण और वैश्विक नेविगेशन सैटेलाइट तंत्र (Global Navigation Satellite System) के लिए बहुत जरूरी हैं. उन्होंने अब अंतरिक्ष के लिए परमाणु घडियों का ज्यादा लंबे समय तक लगातार समय मापने की क्षमता को बेहतर कर लिया है. हालांकि अंतरिक्ष की परमाणु घड़ियां कम स्थायित्व के साथ ही वैश्विक नेविगेशन की तकनीक पर काम कर रही थीं, उन्हें गहरे अंतरिक्ष के नेविगेशन (Space Navigation) के लिए उपयोग में नहीं लाया जा सकता था.
इस उन्नति के बारे में नेचर जर्नल में रिपोर्ट के रूप में प्रकाशित कर बताया गया है. इस रिपोर्ट के मुताबिक अभी तक इस्तेमाल में लाई जाने वाले परमाणु घड़ियों (Atomic Clocks) की उपयोगिता बहुत ही सीमित रही है क्योंकि उनके कार्यनिष्पादन में अंतरिक्ष (Space) के कठिन हालात बहुत सीमाएं ला देते हैं. परमाणु घड़ियां अंतरिक्ष में दो वस्तुओं के बीच की दूरी नापने के लिए इस्तेमाल में लाई जाती हैं. इसके लिए वे विशिष्ट परमाणुओं द्वारा प्रकाश की बहुत ही स्थिर और सटीक आवर्तियों (Light Frequency) को मापती हैं. (तस्वीर: NASA)
इस उन्नति के बारे में नेचर जर्नल में रिपोर्ट के रूप में प्रकाशित कर बताया गया है. इस रिपोर्ट के मुताबिक अभी तक इस्तेमाल में लाई जाने वाले परमाणु घड़ियों (Atomic Clocks) की उपयोगिता बहुत ही सीमित रही है क्योंकि उनके कार्यनिष्पादन में अंतरिक्ष (Space) के कठिन हालात बहुत सीमाएं ला देते हैं. परमाणु घड़ियां अंतरिक्ष में दो वस्तुओं के बीच की दूरी नापने के लिए इस्तेमाल में लाई जाती हैं. इसके लिए वे विशिष्ट परमाणुओं द्वारा प्रकाश की बहुत ही स्थिर और सटीक आवर्तियों (Light Frequency) को मापती हैं. (तस्वीर: NASA)
ये परमाणु घड़ियां (Atomic Clocks) दशकों तक अति स्थिर रहती हैं, लेकिन उनकी डिजाइन बहुत बड़ी होती है, वे अधिक ऊर्जा खाती हैं और वातावरण में बदलाव के प्रति बहुत संवेदनशील होती हैं. इस वजह से उन्हें अंतरिक्ष यात्रा संचालन और गहरे अंतरिक्षीय अन्वेषणों के लिए बहुत ही संघनित रखना होता है. गहरे अंतरिक्ष (Deep Space) के लिए परमाणु घड़ी हमारे फोन में जीपीएस शुरू करने के वाली सैटेलाइट (GPS Satellite) आधारित परमाणु घड़ी का गंभीर उन्नयन या अपडेट है. यह नई तकनीक लंबे दूरी जैसे की मंगल ग्रह की यात्रा के लिए अंतरिक्ष यान नेविगेशन को और स्वचलित बना सकती है.
ये परमाणु घड़ियां (Atomic Clocks) दशकों तक अति स्थिर रहती हैं, लेकिन उनकी डिजाइन बहुत बड़ी होती है, वे अधिक ऊर्जा खाती हैं और वातावरण में बदलाव के प्रति बहुत संवेदनशील होती हैं. इस वजह से उन्हें अंतरिक्ष यात्रा संचालन और गहरे अंतरिक्षीय अन्वेषणों के लिए बहुत ही संघनित रखना होता है. गहरे अंतरिक्ष (Deep Space) के लिए परमाणु घड़ी हमारे फोन में जीपीएस शुरू करने के वाली सैटेलाइट (GPS Satellite) आधारित परमाणु घड़ी का गंभीर उन्नयन या अपडेट है. यह नई तकनीक लंबे दूरी जैसे की मंगल ग्रह की यात्रा के लिए अंतरिक्ष यान नेविगेशन को और स्वचलित बना सकती है.
फिलहाल पृथ्वी (Earth) का चक्कर लगाने वाले जीपीएस सैटेलाइ (GPS Satellite) की परमाणु घड़ियों (Atomic Clock) को रोजाना दो बार अपडेट करने की जरूरत पड़ती है. ऐसे धरती पर स्थापित परमाणु घड़ियों के मुकाबले इन घडियों के प्राकृतिक रूप से खिसकने के कारण करना पड़ता है. पृथ्वी से अंतरिक्ष यान की स्थिति और उसकी दिशा के सुनिश्चित करने के लिए इन घड़ियों का उपयोग किया जाता है. पृथ्वी से यान की ओर संकेत भेजे जाते हैं, जो फिर वापस पृथ्वी तक आते हैं. इसमें लगने वाले समय से यान की दूरी का पता चलता है.
फिलहाल पृथ्वी (Earth) का चक्कर लगाने वाले जीपीएस सैटेलाइ (GPS Satellite) की परमाणु घड़ियों (Atomic Clock) को रोजाना दो बार अपडेट करने की जरूरत पड़ती है. ऐसे धरती पर स्थापित परमाणु घड़ियों के मुकाबले इन घडियों के प्राकृतिक रूप से खिसकने के कारण करना पड़ता है. पृथ्वी से अंतरिक्ष यान की स्थिति और उसकी दिशा के सुनिश्चित करने के लिए इन घड़ियों का उपयोग किया जाता है. पृथ्वी से यान की ओर संकेत भेजे जाते हैं, जो फिर वापस पृथ्वी तक आते हैं. इसमें लगने वाले समय से यान की दूरी का पता चलता है. (तस्वीर: NASA)
नासा (NASA) के मुताबिक बहुत सारे संकेत भेज कर अंतरिक्ष यान के द्वारा तय किया गया रास्ता पता किया जाता है. और इसके लिए सटीक घड़ी (Precise Clock) की जरूरत होती है जो एक सेकेंड के अरबवें हिस्से तक को माप सके. नासा के जेपीएल में काम करने वाले परमाणु घड़ी (Atomic Clock) भौतिकविद एरिक बर्ट का कहना है कि एक नौनोसेकेंड की अनिश्चितता एक फुट की अनिश्चितता पैदा कर देती है.
नासा (NASA) के मुताबिक बहुत सारे संकेत भेज कर अंतरिक्ष यान के द्वारा तय किया गया रास्ता पता किया जाता है. और इसके लिए सटीक घड़ी (Precise Clock) की जरूरत होती है जो एक सेकेंड के अरबवें हिस्से तक को माप सके. नासा के जेपीएल में काम करने वाले परमाणु घड़ी (Atomic Clock) भौतिकविद एरिक बर्ट का कहना है कि एक नौनोसेकेंड की अनिश्चितता एक फुट की अनिश्चितता पैदा कर देती है.
फिलहाल इंजीनियर धरती पर रेफ्रीजरेटर के आकार की परमाणु घड़ियों (Atomic Clock) का उपयोग कर रहे हैं जिससे वे इन संकेतों का समय नोट कर सकें. लेकिन मंगल पर फिर लंबे अभियानों पर रोबोट के लिए संकेतों का इंतजार करने से तेजीसे कई मिनट से घंटों का समय जुड़ सकता है. ऐसे में यह देरी अच्छी मात्रा में कम की जा सकती है यदि अंतरिक्ष यान (Spacecraft) में ऐसे परमाणु घड़ियां हों जो खुद अपनी स्थिति और दिशा का मापन कर सकें. इसके लिए उनके स्थायित्व का बहुत महत्व है. डीप स्पेस एटोमिक क्लॉक (DSAC) का जो परीक्षण जून 2019 से चल रहा है वह इस साल अगस्त में पूरा होगा. नासा (NASA) इसके दूसरे संस्करण को शुक्र ग्रह के लिए भेजे जाने वाले वेरिटास अभियान के साथ भेजेगा.
फिलहाल इंजीनियर धरती पर रेफ्रीजरेटर के आकार की परमाणु घड़ियों (Atomic Clock) का उपयोग कर रहे हैं जिससे वे इन संकेतों का समय नोट कर सकें. लेकिन मंगल पर फिर लंबे अभियानों पर रोबोट के लिए संकेतों का इंतजार करने से तेजीसे कई मिनट से घंटों का समय जुड़ सकता है. ऐसे में यह देरी अच्छी मात्रा में कम की जा सकती है यदि अंतरिक्ष यान (Spacecraft) में ऐसे परमाणु घड़ियां हों जो खुद अपनी स्थिति और दिशा का मापन कर सकें. इसके लिए उनके स्थायित्व का बहुत महत्व है. डीप स्पेस एटोमिक क्लॉक (DSAC) का जो परीक्षण जून 2019 से चल रहा है वह इस साल अगस्त में पूरा होगा. नासा (NASA) इसके दूसरे संस्करण को शुक्र ग्रह के लिए भेजे जाने वाले वेरिटास अभियान के साथ भेजेगा.


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