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अमीर और गरीब देशों के बीच की खाई से जूझ रहा जलवायु शिखर सम्मेलन

Renuka Sahu
10 Nov 2021 4:26 AM GMT
अमीर और गरीब देशों के बीच की खाई से जूझ रहा जलवायु शिखर सम्मेलन
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फाइल फोटो 

संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन अपने अंतिम पड़ाव की ओर धीरे-धीरे बढ़ रहा है और शुक्रवार को इसका समापन होना है, लेकिन आज भी बड़े मतभेद बने हुए हैं।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन अपने अंतिम पड़ाव की ओर धीरे-धीरे बढ़ रहा है और शुक्रवार को इसका समापन होना है, लेकिन आज भी बड़े मतभेद बने हुए हैं। अमीर और गरीब देशों के बीच की खाई मूल रूप से धन पर आकर अटकती है। इसलिए यह समय राजनयिक तौर पर आगे बढ़ने का है।

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में दो सप्ताह के जलवायु सम्मेलन में पहली बार सरकार के प्रमुखों को इस बारे में बात करते हुए देखा गया कि कैसे ग्लोबल वार्मिंग पर अंकुश लगाना अस्तित्व की लड़ाई है। नेताओं ने बड़ी तस्वीरों पर ध्यान केंद्रित किया, न कि बातचीत के लिए महत्वपूर्ण जटिल बिंदुओं पर। तब लगभग एक सप्ताह तक तकनीकी बातचीत में उन प्रमुख विवरणों पर ध्यान केंद्रित किया गया, कुछ चीजें हुईं भी, लेकिन वास्तव में कठिन परिस्थितियों का हल नहीं हो सका। अब, उच्च स्तरीय वार्ताओं का समय आ गया है जब विभिन्न देशों के मंत्री या अन्य वरिष्ठ राजनयिक राजनीतिक निर्णय लेने के लिए आगे आएं, जो तकनीकी गतिरोध को समाप्त करने वाले हों।
ग्लासगो में होने वाले संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन के तीन लक्ष्य रहे हैं, जो अब तक पहुंच से बाहर हैं; पहला- 2030 तक कार्बन डाइआक्साइड उत्सर्जन को आधा करना; दूसरा- अमीर देशों द्वारा गरीब देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सालाना 100 अरब डालर देना; और तीसरा- यह सुनिश्चित करना कि उस राशि का आधा हिस्सा जलवायु परिवर्तन के बढ़ते नुकसान से निपटने के लिए खर्च करने में जाए। समझौता करने के लिए उन्हें इस गहरी खाई को पाटना होगा। यदि हम सटीक रूप से कहें तो कई खाई हैं यथा- विश्र्वास की गहरी खाई और दूसरा धन का अंतर, साथ ही उत्तर-दक्षिण की खाई भी। यह धन, इतिहास और भविष्य से संबंधित है।


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