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भविष्य के एफडीआई का रास्ता समझा जाना चाहिए.
भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार के वी सुब्रह्मण्यम ने कहा कि सरकार की ओर से पिछले एक साल में किए गए कई सुधारों से विदेशी निवेश सहित सकल निवेश को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. इनमें आपूर्ति पक्ष की समस्याओं को दूर करने पर केंद्रित सुधार भी शामिल हैं.
के वी सुब्रह्मण्यम ने इंस्टीट्यूट फॉर स्टडीज इन इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट की ओर से आयोजित विश्व निवेश रिपोर्ट 2021 पर वर्चुअल चर्चा में कहा कि ऐसे समय में जब उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए एफडीआई (FDI) में करीब 50 प्रतिशत की कमी आई है, भारत में एफडीआई बढ़ा है.
महामारी के बीच भारत में एफडीआई बढ़ना इस बात का संकेत है कि विदेशी कंपनियों ने वह किया जिसकी वह बातें करती रहीं हैं. उन्होंने कहा कि विलय और अधिग्रहण में एफडीआई (FDI) बनाम ग्रीनफील्ड में एफडीआई का अंतर संगत है और "यह तथ्य कि विलय एवं अधिग्रहण दूसरे देशों में उतना नहीं हुआ। लेकिन भारत में हुआ और उससे महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की गयी, भारत की वृद्धि की कहानी (india's growth story) का परिचायक है."
दुनिया का 5वां सबसे बड़ा देश बना भारत
संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास सम्मेलन (UNCTAD) द्वारा इस महीने की शुरुआत में जारी की गयी एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2020 में 64 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign direct investment) किया गया। इस तरह से भारत एफडीआई हासिल करने वाला दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा देश रहा. यह आंकड़ा सूचना एवं संचार (ICT) उद्योग में किए गए अधिग्रहणों की वजह से हासिल हुआ.
पिछले डेढ़ में हुए कई सुधार
मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) ने कहा कि भारत बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में अकेला ऐसा देश है, जिसने पिछले डेढ़ वर्षों में कई सुधार किए जो कि मुख्य रूप से आपूर्ति पक्ष की कई समस्याओं को हटाने पर केंद्रित रहे. इसके साथ देश में निवेश का रास्ता साफ हुआ। सुब्रह्मण्यम ने कहा, "श्रम सुधार, कृषि सुधार, एमएमएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) की परिभाषा में बदलाव और सबसे ऊपर उद्यम नीति में निजी क्षेत्र पर ध्यान देना. यहीं पर निजी क्षेत्र पर केंद्रित उद्यम नीति के संदर्भ में भविष्य के एफडीआई का रास्ता समझा जाना चाहिए.
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