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कृत्रिम सूर्य: गाँव अंधेरा रहने पर ग्रामीणों ने कर दिखाया ये कारनामा, पढ़े पूरी खबर

HARRY
27 Aug 2021 3:03 PM GMT
कृत्रिम सूर्य: गाँव अंधेरा रहने पर ग्रामीणों ने कर दिखाया ये कारनामा, पढ़े पूरी खबर
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इस धरती पर ऐसी-ऐसी जगहे हैं जिसके बारे में आम तौर पर लोगों को जानकारी तक नहीं होती है. क्या आपको पता है इडली में एक ऐसा गांव है जहां तीन महीने तक सूर्य की रोशनी ही नहीं पहुंचती है. लेकिन कहते हैं ना आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती है, कुछ ऐसा ही हुआ इस गांव में और लोगों ने रोशनी पाने के अपना आर्टिफिशियल सूरज बना लिया. दरअसल इटली के इस गांव का नाम विगनेला है जो उत्तरी इलाके में है. ये गांव चारों तरफ पहाड़ों और घाटियों से घिरा हुआ है. इसी वजह से खासतौर पर ठंड के महीने नंबर से लेकर फरवरी तक यहां अंधेरा छाया रहता है क्योंकि सूर्य कि किरणें इस गांव तक पहुंचती ही नहीं हैं.

लंबे समय तक सूर्य की रोशनी नहीं मिल पाने की वजह से इस गांव में बीमारियां फैलने लगती थी. लोग रोशनी नहीं मिल पाने की वजह से नकारात्मक मानसिकता, नींद की कमी, मूड खराब रहने जैसी समस्याओं से जूझते थे और अपराध भी बढ़ जाता था. ऐसे में इस गांव के लोगों ने ठंड के मौसम में रोशनी के लिए जो व्यवस्था की उसे जानकर आप भी उनकी तारीफ करने लगेंगे. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक इस गांव के लोगों ने रोशनी पाने के लिए साल 2006 में 100000 यूरो की मदद से 8 मीटर लंबा और 5 मीटर चौड़ा स्टील के शीट का निर्माण किया जिस पर सूर्य की रोशनी पड़ते ही पूरे गांव में उजाला आ जाता है. सूर्य के मार्ग का अनुसरण करने के लिए दर्पण को कंप्यूटर से जोड़ा गया है. इस तकनीक के इस्तेमाल को लेकर विगनेला के मेयर पियरफ्रेंको मिडाली ने कहा, "यह आसान नहीं था, हमें इसके लिए उचित सामग्री ढूंढनी थी, तकनीक के बारे में सीखना था और विशेष रूप से पैसों का इंतजाम करना बड़ी चुनौती थी."

इस तकनीक को एक वैज्ञानिक ने समझाते हुए बताया कि स्टील शीट पर लगा दर्पण दिन में छह घंटे सूर्य के प्रकाश को प्रतिबिंबित करता है जिससे गांव वालों को अंधेरे से मुक्ति मिल जाती है. मिडाली ने कहा, इस "परियोजना के पीछे के विचार का वैज्ञानिक आधार नहीं बल्कि मानवीय जरूरत है. इस स्टील शीट की वजह से अब ठंड के मौसम में भी गांव के लोगों को 6 घंटे की रोशनी मिल जाती है जिसमें वो आसानी से दिन और रात का फर्क महसूस करते हैं और हर जरूरी काम निपटा लेते हैं.

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