विश्व

Antarctic: विज्ञानियों ने जताई बर्फ के पिघलने की रफ्तार बढ़ने की आशंका, बर्फ में मिला माइक्रोप्लास्टिक

Gulabi Jagat
10 Jun 2022 1:34 PM GMT
Antarctic: विज्ञानियों ने जताई बर्फ के पिघलने की रफ्तार बढ़ने की आशंका, बर्फ में मिला माइक्रोप्लास्टिक
x
विज्ञानियों ने जताई बर्फ के पिघलने की रफ्तार बढ़ने की आशंका
मेलबर्न, प्रेट्र। प्लास्टिक की समस्या वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ती जा रही है। इस समस्या से लड़ने के लिए दुनिया के कई देश प्रयासरत हैं, लेकिन सफलता मिलती नहीं दिख रही है। इस कड़ी में एक और चिंताजनक बात सामने आई है। विज्ञानियों को पहली बार अंटार्कटिक की ताजा बर्फ में माइक्रोप्लास्टिक मिला है। उन्होंने आशंका जताई है कि इससे बर्फ के पिघलने की रफ्तार बढ़ सकती है, जिस वजह से जलवायु पर असर पड़ेगा। हाल ही में द क्रायोस्फीयर जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन के निष्कर्षो ने अंटार्कटिक क्षेत्र में गंभीर खतरे पर प्रकाश डाला है। बता दें कि माइक्रोप्लास्टिक चावल के दानों से भी छोटे प्लास्टिक के टुकड़े होते हैं।
माइक्रोप्लास्टिक के दुष्परिणाम
पूर्व के अध्ययनों से स्पष्ट हो चुका है कि माइक्रोप्लास्टिक पर्यावरण के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालने के साथ ही जीवों के विकास, प्रजनन और सामान्य जैविक कार्यो को सीमित करता है। इसके अलावा मनुष्यों पर भी बुरा असर डालता है।
इस तरह किया अध्ययन
2019 के अंत में न्यूजीलैंड की यूनिवर्सिटी आफ कैंटरबरी की पीएचडी छात्रा एलेक्स एवेस ने अंटार्कटिका के रास आइस सेल्फ से बर्फ के नमूने एकत्र किए थे। शोधकर्ताओं के मुताबिक, उस समय तक हवा में माइक्रोप्लास्टिक की उपस्थिति की जांच के लिए कुछ ही अध्ययन हुए थे और यह बात अज्ञात थी कि यह समस्या कितनी व्यापक है। यूनिवर्सिटी आफ कैंटरबरी में एसोसिएट प्रोफेसर लारा रेवेल के मुताबिक, 2019 में एलेक्स ने जब अंटार्कटिका की यात्रा की थी, तब हमें उम्मीद थी कि इस तरह के प्राचीन और दूरस्थ स्थान पर उन्हें माइक्रोप्लास्टिक नहीं मिलेगा। जब वह नमूने लेकर प्रयोगशाला में लौटीं तो शोधकर्ताओं को हर नमूने में प्लास्टिक के कण मिले।
शोधकर्ताओं ने बताया दुखद
दूरस्थ क्षेत्रों में प्लास्टिक की मौजूदगी से शोधकर्ता भी हैरत में हैं। एलेक्स के मुताबिक, अंटार्कटिक की ताजा बर्फ में माइक्रोप्लास्टिक मिलना अविश्वसनीय रूप से दुखद है। यह स्थिति इस पर प्रकाश भी डालती है कि दुनिया के ज्यादातर दूरस्थ क्षेत्रों में प्लास्टिक प्रदूषण पहुंच चुका है। हमने रास द्वीप क्षेत्र में 19 साइट्स से बर्फ के नमूने एकत्र किए थे और उन सभी नमूनों में माइक्रोप्लास्टिक पाया गया।
प्लास्टिक कणों की पहचान की
शोधकर्ताओं के मुताबिक, हवा में व्यापक पैमाने पर मौजूद माइक्रोप्लास्टिक से बर्फ के पिघलने की रफ्तार में तेजी आने से जलवायु प्रभावित होती है। एलेक्स ने प्लास्टिक कणों के प्रकार की पहचान करने के लिए एक रासायनिक विश्लेषण तकनीक का उपयोग करके बर्फ के नमूनों का विश्लेषण किया। प्लास्टिक कणों के रंग, आकार और आकृति की पहचान करने के लिए उन्हें माइक्रोस्कोप के जरिये भी देखा गया। शोधकर्ताओं ने प्रति लीटर पिघली हुई बर्फ में औसतन 29 माइक्रोप्लास्टिक कण पाए, जो कि आसपास के रास सागर और अंटार्कटिक समुद्री बर्फ में पहले बताई गई समुद्री सांद्रता से अधिक है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, रास द्वीप, स्काट बेस और अंटार्कटिका के सबसे बड़े स्टेशन मैकमुर्डो स्टेशन पर वैज्ञानिक ठिकानों के ठीक बगल में माइक्रोप्लास्टिक का घनत्व समान सांद्रता वाले इतालवी ग्लेशियर के मलबे से तीन गुना अधिक था। उन्होंने जो माइक्रोप्लास्टिक प्राप्त किए उनमें 13 तरह के प्लास्टिक मौजूद थे, जिनमें सबसे सामान्य पीईटी है, जो आमतौर पर साफ्ट ड्रिंक की बोतल और कपड़े बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है।
स्रोतों की जांच
शोधकर्ताओं ने माइक्रोप्लास्टिक के संभावित स्रोतों की भी जांच की है। उनका कहना है कि वायुमंडलीय माडलिंग से पता चलता है कि माइक्रोप्लास्टिक ने हवा के जरिये हजारों किलोमीटर की यात्रा की होगी।
Gulabi Jagat

Gulabi Jagat

    Next Story