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अमेरिका सिर्फ अफगानिस्तान को ही नहीं, बल्कि जापान-ब्रिटेन जैसे बड़े देशों के साथ इन मुल्कों को भी देती है सुरक्षा

Renuka Sahu
31 Aug 2021 4:34 AM GMT
अमेरिका सिर्फ अफगानिस्तान को ही नहीं, बल्कि जापान-ब्रिटेन जैसे बड़े देशों के साथ इन मुल्कों को भी देती है सुरक्षा
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फाइल फोटो 

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद आज 20 साल बाद अमेरिका ने अपने सैनिकों को वहां से पूरी तरह निकाल लिया है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद आज 20 साल बाद अमेरिका ने अपने सैनिकों को वहां से पूरी तरह निकाल लिया है. अमेरिका ने अपने सैनिकों की वापसी, अमेरिकी नागरिकों और अफगान नागरिकों को वहां से निकालने के लिए सैन्य मिशन खत्न करने की भी घोषणा कर दी है. इसके अलावा अमेरिका ने अफगानिस्तान में अपनी राजनयिक उपस्थिति को भी खत्म कर दिया और वह कतर में शिफ्ट हो गया है. लेकिन क्या आपको पता है अमेरिका सिर्फ अफगानिस्तान को ही नहीं, बल्कि जापान और ब्रिटेन समेत कई देशों को सुरक्षा देता है. यानि इन देशों में अमेरिकी सैनिक तैनात हैं.

बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी सैनिक नॉर्थ अटलांटिक ट्रिटी ऑर्गेनाइजेशन (NATO) के कई सदस्य देशों में तैनात हैं. नाटो की स्थापना 4 अप्रैल 1949 को सोवियत संघ का मुक़ाबला करने के उद्देश्य से की गई थी. अमेरिका, जापान और ब्रिटेन सहित करीब 29 देश नाटो के सदस्य हैं. इन देशों की आपस में राजनीतिक और सैन्य साझेदारी है.
जर्मनी में सबसे ज्यादा अमेरिकी सैनिक
नोटा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्तमान में यूरोपीय देशों में करीब 60 हज़ार अमेरिकी सैनिक तैनात हैं. यूरोप में हर साल बड़ी संख्या में अमेरिकी सैन्य बलों की तैनाती की जाती है. यूरोप की बात करें तो वर्तमान जर्मनी में सबसे ज़्यादा 35 हजार अमेरिकी सैनिक तैनात हैं.
कौन कौन से देशों में है अमेरिकी सैनिकों की तैनाती?
जापान- 55 हजार
जर्मनी- 35 हजार
दक्षिण कोरिया- 25 हजार
इटली- 12 हजार
ब्रिटेन- 9 हजार
गुआम- 5 हजार
बहरीन- 4 हजार
स्पेन- 3 हजार
तुर्की- 1 हजार
अफगानिस्तान की स्थिति ने बढ़ाई इन देशों की चिंता
इन देशों के अलावा कुवैत, इराक, कतर, तुर्की, जोर्डन, यूएई, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, क्यूबा, रोमानिया और ताइवान जैसे देशों में भी अमेरिकी सेना मौजूद है. ताइवान को करीब करीब हर रोज़ चीनी हमले की धमकियों का सामना है. अब इन देशों की चिंता है कि क्या अमेरिका उनके साथ भी अफगानिस्तान की तरह कर सकता है. यानी क्या वह भविष्य़ में इन देशों से अपने सैनिकों को वापस बुला लेगा.


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