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हिटलर के सपने को पूरा करने में लगे थे 9 हजार सैनिक, बैरक बना आलीशान होटल

Apurva Srivastav
23 May 2021 1:43 PM GMT
हिटलर के सपने को पूरा करने में लगे थे 9 हजार सैनिक, बैरक बना आलीशान होटल
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हिटलर का खौफ लोगों के दिलों में बैठने लगा था

बात दूसरे विश्व युद्ध (Second World War) से पहले की है. हिटलर (Hitler) का खौफ लोगों के दिलों में बैठने लगा था. हिटलर ने अपने सैनिकों को एक होटल बनाने का आदेश दिया जो उसकी मौज-मस्ती का ठिकाना बनेगा. कोलोसस ऑफ प्रोरा (Colossus of Prora) नाम के इस होटल की कहानी बेहद दिलचस्प है और इससे जुड़े किस्से चौंकाने वाले हैं. इस इमारत के निर्माण में करीब 9 हजार मजदूर लगे थे और 1930 के दशक में ये आलीशान होटल बनकर तैयार हो गया था.

हिटलर के आदेश के बाद सैनिकों ने जर्मनी के बाल्टिक सागर के रुगेन द्वीप पर इस होटल का निर्माण शुरू किया. 1930 में कोलोसस ऑफ प्रोरा का डिजाइन क्लिमेंस क्लोट्ज ने तैयार किया था. पांच किलोमीटर में फैले इस आइलैंड के निर्माण की जिम्मेदारी Kraft durch Freude नाम की नाजी संस्था को दी गई थी. हिटलर इस होटल का निर्माण सैनिकों और जर्मन लोगों की मौज-मस्ती के लिए करवाना चाहता था.
प्रोजेक्ट की लागत करीब 80 अरब रुपए
हिटलर का आदेश उस वक्त पत्थर की लकीर था. लिहाजा 9 हजार मजदूर दिन-रात इस होटल के निर्माण में लगे रहे और तीन साल तक लगातार इसका काम चलता रहा. इसका निर्माण 1936 में शुरू हुआ था और 1939 में दूसरे विश्व की शुरूआत के बाद होटल का काम रुक गया. लागत की बात करें तो तब इसमें 237.5 मिलियन जर्मन करंसी खर्च हुई थी जो आज के समय में लगभग €899 मिलियन के बराबर है यानी करीब 80 अरब रुपए.
सैनिकों की बैरक बना होटल
काम रुकने से पहले होटल के कई हिस्से बनकर तैयार हो गए थे जिसमें 8 हाउसिंग ब्लॉक, थिएटर और सिनेमा हॉल शामिल थे. आगे का काम शुरू होने से पहले ही युद्ध शुरू हो गया और मजदूरों को सेना में भेज दिया गया और हिटलर का सपना अधूरा रह गया. होटल का निर्माण अधूरा ही रह गया. जो इमारत सैनिकों की मौज-मस्ती के लिए बनाई जा रही थी वो उनके बैरक की तरह इस्तेमाल होने लगी. जर्मनी के अलावा कई देशों की सेना ने यहां शरण ली और यह आलीशान इमारत खंडहर में बदल गई.
बड़ी मुश्किल से 2004 में बिकी इमारत
कई बार इस इमारत को बेचने की भी कोशिश की गई लेकिन हर बार किसी न किसी वजह से डील टूट गई. स्थानीय तौर पर कई लोगों ने ये अफवाहें भी सुनी कि लड़ाई के दौरान यहां कई लोग मारे गए थे इसलिए यहां कई सैनिकों की आत्माएं भटकती हैं. 2004 में इस होटल को अलग-अलग हिस्सों में बेचा गया और अब खरीदार इसके अलग-अलग हिस्सों का इस्तेमाल कर रहे हैं.


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