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ताजा आंकड़ा यह सामने आया है कि चीन में इस साल के पहले 11 महीनों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में 6.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| ताजा आंकड़ा यह सामने आया है कि चीन में इस साल के पहले 11 महीनों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में 6.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। चीन के वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक नवंबर में चीन में 15 अरब डॉलर की एफडीआई आई। नवंबर लगातार आठवां महीना रहा, जब चीन में एफडीआई में इजाफा हुआ।
वैसे कुल खबर यह है कि 2020 कोरोना महामारी के कारण भले ही बाकी दुनिया के लिए आर्थिक नुकसान का साल रहा हो, लेकिन चीन के लिए यह खुशहाली का वर्ष साबित हुआ है। यहां तक कि अमेरिका के चीन विरोधी तमाम अभियान के बावजूद चीन में अमेरिकी निवेश में भी बढ़ोतरी हुई।
अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स से बातचीत में पीटरसन इंस्टीट्यूट में सीनियर फेलो ई लवली ने कहा है कि महामारी के कारण अमेरिका में कुल आयात घटा। लेकिन चीन से होने वाले आयात में वृद्धि हुई है। लवली ने कहा- महामारी के बाद चीन ने अपनी हालत तेजी से सुधारी है। साथ ही, उन चीजों के उत्पादन में उसका वर्चस्व है, जिनकी जरूरत अमेरिका के लोगों ने महामारी में और भी ज्यादा महसूस की। इसका असर यह हुआ कि (राष्ट्रपति) ट्रंप के लगाए शुल्क बेअसर साबित हुए। अमेरिका में चीनी वस्तुओं का आयात बढ़ गया।
ब्रिटिश अखबार फाइनेंशियल टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन में शेयर और बॉन्ड्स में विदेशी निवेशकों ने इस साल अपना निवेश बढ़ाया है। चीन का शेयर सूचकांक- सीएसआई इस साल डॉलर के मूल्य में 27 फीसदी ऊपर गया। जबकि अमेरिका में 500 टॉप कंपनियों का शेयर सूचकांक एसएंडपी 13 फीसदी ही ऊपर गया है। यही हाल तकनीकी कंपनियों के सूचकांक चिनेक्स्ट का भी है। यह सूचकांक 59 फीसदी ऊपर गया है।
फाइनेंशियल टाइम्स से बातचीत में अबरदीन स्टैंडर्ड इन्वेस्टमेंट्स के एशियाई सरकारी ऋण विभाग की प्रमुख केनेथ एकिनतेवे ने कहा- मैं एशिया में 20 साल से हूं। ये साल उन लोगों के लिए चुनौती भरा रहा है, जो चीनी प्रतिभूतियों (सिक्यूरिटीज) के बढ़ते वजन को स्वीकार करने में हिचकते थे।
महामारी के दौरान चीन के बॉन्ड्स ने खास तौर पर निवेशकों को आकर्षित किया। इसकी एक वजह चीन का अपने वित्तीय सिस्टम को बाकी दुनिया के लिए ज्यादा खोलने का फैसला था। लेकिन इसका कारण यह भी रहा कि चीन ने कोरोना महामारी को बहुत जल्द संभाल लिया। विलिस टॉवर्स वाटसन में एशिया एडवाइजरी पोर्टफोलियो ग्रुप के प्रमुख पॉल कोलवेल ने फाइनेंशियल टाइम्स से कहा कि कोरोना के बाद हालत सुधारने के रास्ते पर चीन बहुत तेजी से बढ़ा। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था, मौद्रिक नीति, राजकोषीय नीति आदि के मामले में बाकी दुनिया में जिस तरह नीति निर्माता प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं, चीन उससे बहुत अलग ढंग से काम करता है।
हकीकत यह है कि 2020 में ऋण बाजार में लाभ कमाने के इच्छुक निवेशकों के लिए चीन अकेला विकल्प था। ड्यूश बैंक के मैक्रो स्ट्रेटेजिस्ट समीर गोयल का कहना है कि 2019 में चीन के बॉन्ड की जितनी खरीद की अपेक्षा की गई थी, 2020 में उससे भी अधिक खरीदारी निवेशकों ने की।
जानकारों के मुताबिक चीन को इस साल मिली आर्थिक कामयाबी की एक और वजह उसकी मुद्रा युआन का लगातार मजबूत होना है। इससे बहुत से निवेशक डॉलर से हट कर चीनी मुद्रा में चीनी बाजार में निवेश करने के लिए प्रेरित हुए। तो कोरोना महामारी भले चीन से शुरू हुई, लेकिन वह चीन को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा सकी। दूसरी तरफ दुनिया के बाकी देश इससे बुरी तरह प्रभावित हुए। उसका फायदा चीन को मिला है। उसकी आर्थिक ताकत इस साल और बढ़ गई है।
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