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पाक से रिहा होकर आए गुजरात के 20 मछुआरों ने वतन की धरती को किया नमन

Renuka Sahu
16 Nov 2021 1:50 AM GMT
पाक से रिहा होकर आए गुजरात के 20  मछुआरों ने वतन की धरती को किया नमन
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फाइल फोटो 

पाकिस्तान की जेलों में चार साल तक बंद रहे 20 मछुआरे सोमवार को स्वदेश लौटे। चार साल से ये मछुआरे पाकिस्तान की जेल में कैद थे।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पाकिस्तान की जेलों में चार साल तक बंद रहे 20 मछुआरे सोमवार को स्वदेश लौटे। चार साल से ये मछुआरे पाकिस्तान की जेल में कैद थे। इन मछुआरों पर पाकिस्तानी जल क्षेत्र में मछली पकड़ने का आरोप था। इन्हें वाघा बार्डर (Wagah border) पर भारत को सौंप दिया गया। रविवार को सिंध प्रांत के मालिर स्थित डिस्ट्रिक्ट कारागार से रिहाई के बाद सोमवार को इन सभी मछुआरों ने स्वदेश की धरती पर पैर रखा। इधी फाउंडेशन (Edhi Foundation) ने लाहौर में इन्हें रिसीव किया और सभी को भोजन उपलब्ध कराया। इन्हें वाघा बार्डर ले जाया गया जहां इनकी इमिग्रेशन प्रक्रिया और कुछ कोविड संबंधित जांच पूरी की गई।

करीब पौने सात बजे मछुआरे अंतरराष्ट्रीय अटारी सीमा पर पहुंचे तो सबसे पहले इन्होंने अपने वतन की धरती को नमन किया। वतन लौटने और अपनों से मिलने की खुशी इनके चेहरों पर साफ झलक रही थी। इनमें से अधिकतर मछुआरे गुजरात से हैं। मछलियां पकड़ते हुए ये पाकिस्तान की समुद्री सीमा में पहुंच गए थे। पाकिस्तान रेंजर्स ने इन्हें गिरफ्तार कर लिया था।
सोमवार को अटारी सीमा पर पहुंचे इन मछुआरों की सबसे पहले दस्तावेजों की जांच की गई। इसके बाद इनका कोरोना टेस्ट किया गया। देर शाम इन्हें रेड क्रास भवन में भेज दिया गया। यहां से मंगलवार सुबह इन्हें घरों को भेजा जाएगा। बता दें कि पाकिस्तान की जेलों में 588 भारतीय बंद हैं। इनमें ज्यादातर मछुआरे वो हैं, जो गलती से समुद्री मार्ग से सीमा पार चले गए थे।
रिहाई के बाद स्वदेश लौटने वालों में से एक अर्जुन बाबू (Arjun Babu) ने कहा कि पांच साल पहले जब पाकिस्तान ने इन्हें गिरफ्तार किया था तभी से बाल बढ़ रहे हैं। दरअसल रिहाई को लेकर मन्नत मांगी थी और अब जाकर पूरी हुई है तब बाल कटवा लेंगे। उन्होंने बताया कि अपनी आजादी के लिए वे काफी प्रसन्न हैं कि जल्द ही घर पहुंच जाएंगे लेकिन इस बात को लेकर दुखी हैं कि पाकिस्तान की जेल में अभी कई भारतीय मछुआरे रिहाई के इंतजार में हैं। उन्होंने निवेदन किया कि जल्द से जल्द उन सबको भी आजाद करा दें जो वतन वापसी की राह देख रहे हैं।
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