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जनता से रिश्ता वेबडेस्क | विदेशों से सस्ते खाद्यतेलों का आयात बढ़ने से दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बुधवार को सरसों, मूंगफली, सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल जैसे सभी खाद्य तेलों में गिरावट आई।
बाजार सूत्रों ने बताया कि मलेशिया और शिकागो एक्सचेंज में मंदी का रुख है। इधर देश में सस्ते आयातित तेलों की भरमार के कारण देश के तिलहन किसानों की उपज न खप पाने की वजह से उनके बीच घोर निराशा है। उनकी हालत इतनी खराब है कि वे अपने कर्मचारियों को वेतन ठीक से नहीं दे पा रहे हैं और कुछ जगहों पर कर्मचारियों को रोजगार से हटाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश में अगले महीने गर्मी की सूरजमुखी फसल आने वाली है और पूरे आसार हैं कि इसका भी हाल सरसों जैसा ही हो। जब बंदरगाह पर आयातित सूरजमुखी तेल जरुरत से ज्यादा मात्रा में और काफी कम दाम पर मौजूद हो तो महंगी लागत वाली देशी सूरजमुखी को कौन हाथ लगायेगा ? तेल मिलों और तिलहन किसानों की दुर्दशा उस देश में हो जो अपनी खाद्यतेल जरुरतों को पूरा करने के लिए 55-60 प्रतिशत तक खाद्यतेल के आयात पर निर्भर हो, यह सोचने वाली बात है।
उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में सूरजमुखी और सोयाबीन तेल (सॉफ्ट आयल) के बंदरगाह पर दाम, भारत में संभवत: पहली बार पामोलीन तेल (हार्ड आयल) से नीचे चल रहे हैं। शुल्कमुक्त सूरजमुखी और सोयाबीन तेल के आयात के अलावा बाकी आयात पर 5.5 प्रतिशत का आयात शुल्क लागू है। लेकिन ज्यादातर कम आयव