गा था कि इस बार शायद ऐसा नहीं होगा। पौन सदी कम नहीं होती। आदमी की जिंदगी हो तो इसमें लगभग खप ही जाती है। देश की हो तो भी उसे उसका रौशन काल नहीं कह सकते।