सावन भादों बहुत चलत है, माघ पूस में थोरी, अमीर खुसरो यूं कहें तू बूझ पहेली मोरी’ और उत्तर दे देते थे ‘मोरी’ । ‘सावन के अंधे को हर जगह हरा ही हरा दिखता है’