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गए दिन हंसी-ठिठोली के

गए दिन हंसी-ठिठोली के

हास्य हमारी मानसिक जरूरत है। विरेचन का शक्तिशाली माध्यम भी। मगर अफसोस कि हास्य की यह फसल दिन पर दिन सूखती जा रही है। उस पर हमारी वैचारिक संकीर्णता का पाला पड़ रहा है, तो दूसरी ओर उसे द्विअर्थी सस्ते...

2 April 2022 5:26 AM GMT