लोकतन्त्र में संसद की महत्ता इस प्रकार विवेचित है कि इसके पास देश के किसी भी संवैधानिक पद पर प्रतिष्ठापित व्यक्ति के विरुद्ध अभियोग चलाने का अधिकार है।