एक शाम एक चैनल पर सारे मुसलिम प्रवक्ता बैठे ही थे कि उनमें भी लठ्ठम-लठ्ठ होती दिखी! अजमेर शरीफ के खादिमों की भूमिका को लेकर कुछ अतिवादी थे, कुछ नरमवादी!