सुरेश सेठ का लेख ‘मुद्रास्फीति के विस्तार से हठी इनकार क्यों’ (26 अगस्त) देश में कमरतोड़ महंगाई के बावजूद सरकार द्वारा इस कटु सत्य को स्वीकार न करने का पर्दाफाश करने वाला था।