कुछ कृषि अर्थशास्त्री यह तर्क देते हैं कि लगातार समर्थन मूल्य बढ़ाने से उपज का मूल्य अंतरराष्ट्रीय बाजार मूल्य से अधिक हो जाता है, जिसके परिणाम स्वरूप विदेशों से माल भारत में जमा होने लगता है।