ऐसा लगता है कि राजनीति अब देशसेवा का जरिया नहीं, बल्कि आधुनिक व्यवसाय बन चुका है। वर्तमान लोकतंत्र में केवल विशुद्ध राजनीतिक योग्यता किसी व्यक्ति या संगठन की वह एकमात्र योग्यता नहीं है