हम अपने घरों, कार्यालयों में अक्सर ये बातें सुनते रहते हैं कि फलाने वर्ग या जाति के लोगों को कितना भी बड़ा पद या उपलब्धि हासिल हो जाए, वे अपनी पहचान से ऊपर नहीं उठ पाते।