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बोझ उठाते हुए फिरी है हमारा अब तक, ऐ ज़मी माँ तेरी यह उम्र तो आराम की थी

बोझ उठाते हुए फिरी है हमारा अब तक, ऐ ज़मी माँ तेरी यह उम्र तो आराम की थी

ज़ाकिर घुरसेना/कैलाश यादवअच्छे दिन की आस में जनता हताश हो गई ,अच्छे दिन तो नहीं आया मगर अच्छे-बुरे का पहचान जरूर करा दिया। बरसो पूर्व एक शायर ने कहा था कि -सब कुछ है इस देश में रोटी नही तो क्या...।...

21 May 2021 6:04 AM GMT