छत्तीसगढ़

बोझ उठाते हुए फिरी है हमारा अब तक, ऐ ज़मी माँ तेरी यह उम्र तो आराम की थी

Admin2
21 May 2021 6:04 AM GMT
बोझ उठाते हुए फिरी है हमारा अब तक, ऐ ज़मी माँ तेरी यह उम्र तो आराम की थी
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ज़ाकिर घुरसेना/कैलाश यादव

अच्छे दिन की आस में जनता हताश हो गई ,अच्छे दिन तो नहीं आया मगर अच्छे-बुरे का पहचान जरूर करा दिया। बरसो पूर्व एक शायर ने कहा था कि -सब कुछ है इस देश में रोटी नही तो क्या...। सरकार की वर्तमान व्यवस्था ने शेर को ही बदल कर इस प्रकार कर दिया- सब कुछ है इस देश में सुविधा नही तो क्या...। महामारी पर किसी का नियंत्रण नहीं है। समूचा विश्व इसके चपेट में है लेकिन हमारा देश दूसरो से कही ज्यादा प्रभावित रहा है। भारत सरकार इस पर नियंत्रण करने में विफल रही। जिस प्रकार कोरोना की दूसरी लहर ने तबाही का रूह कँपा देने वाला मंजर दिखाया है, भारत सरकार इसे क़ाबू करने में विफल रही है। । अस्पताल, बेड ऑक्सीजन ,वेंटिलेटर और दवाइयां तो सरकार के जिम्मे होती है, जिसके आभाव में बहुत लोगो को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। काफी देशो ने पहली लहर से ही सबक ले लिया था लेकिन भारत में शायद इसकी अनदेखी की गई , जब ध्यान दिया गया तब काफी देर हो चुकी थी और यह महामारी का रूप धारण कर लिया था । प्रतिदिन लगभग दो लाख से ज्याद कोरोना मरीज मिल रहे थे और प्रधानमंत्री जी चुनाव प्रचार में लगे रहे।उनको सिर्फ बंगाल दिख रहा था। हमें सिर्फ अपनी आसाइशें चाहिए इसके लिए हमने क्या से क्या नहीं कर डाले। इसी बात पर शायर कहता है -बोझ उठाते हुए फिरती है हमारा अब तक ,ऐ ज़मी माँ तेरी यह उम्र तो आराम की थी। देश का हेल्थ सिस्टम अभी भी पुराने ढर्रे पर ही चल रहा है। देश को जब अस्पतालों ,ऑक्सीजन प्लांटों और दवाइयों की जरुरत थी तब सरकार नए संसद भवन बनाने में मस्त थी। कहाँ हम विश्व गुरु बनने चले थे कोरोना की दूसरी लहर ने सब कुछ उजागर कर दिया। इस बारे में राहुल गाँधी का भी कहना सही है कि मोदी सिस्टम में जितनी आसानी से सवाल उठाने वालो की गिरफ़्तारी होती है उतनी आसानी से वेक्सीन मिलती तो देश आज दर्दनाक स्थिति में ना होता। उत्तरप्रदेश के एक भाजपा विधायक भी इस प्रकार का बयान दे चुके हैं। जनता में खुसुर-फुसुर है कि तीसरी लहर में इन सब बातों का विशेष ध्यान दिया जाये।

दखलंदाजी बर्दास्त नहीं

रायपुर के सांसद सुनील सोनी जी ने प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव डॉ आलोक शुक्ला के कार्यप्रणाली पर आश्चर्य प्रकट करते हुए राज्य सरकार से पूछा कि डॉ शुक्ला अधिकारी हैं या नेता। दरअसल डॉ शुक्ला ने केंद्र सरकार से पूछ लिया था कि जो वेंटिलेटर उन्होंने भेजा था उसमे अधिकतर खऱाब निकले क्यों ना सप्लायरों को काली सूची में डाल दिया जाकर उनसे जुर्माना वसूला जाय। बात सांसद महोदय को चुभ गयी कि जो मांग हमको करना चाहिए वो मांग ये अधिकारी महोदय कर रहे हैं। जबकि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कलेक्टरों से वर्चुअल मीटिंग में कह चुके हैं कि मेरे तरफ से आप लोगो को पूरी छूट है कि कोरोना से बचाव के लिए जैसा करना है करिये।जो सुझाव है सीधे मुझे भेजिए, डॉ शुक्ला ने भेज दिया। जनता में खुसुर-फुसुर है कि एक तरफ प्रधान मंत्री जी अधिकारियो को खुली छूट दे रहे हैं और दूसरी तरफ सांसद महोदय अधिकारी के खिलाफ बयान दे रहे।

नारदा घोटाला: शुभेंदु अधिकारी का क्या होगा

सन 2014 में एक स्टिंग ऑपरेशन हुआ था जिसमे तत्कालीन तृणमूल कांग्रेस के नेता शुभेंदु अधिकारी सहित कई सांसद और बंगाल के मंत्री लपेटे में आये थे। बंगाल चुनाव में भाजपा हार गई है। अब नारदा का जिन्न फिर से बाहर आया। शुभेंदु अधिकारी भाजपा के नेता हो गए हैं। सो तृणमूल कांग्रेस के नेता इस केस में धर लिए गए हैं और शुभेंदु अधिकारी पर कोई केस नहीं बनते दिख रहा है। स्टिंग करने वाला पत्रकार खुद हैरान है कि स्टिंग में इस घोटाले के मुख्य कर्ताधर्ता शुभेंदु अधिकारी ही थे चूँकि शुभेंदु अधिकारी अब भाजपा के नेता बन गए हैं अब कैसे उन पर जुर्म दर्ज होगा। जनता में खुसुर-फुसुर है कि आगे देखते हैं क्या होगा लेकिन अभी तो सांप और छछूंदर वाली बात हो गई है।

शाबाश सुधाकर बोदले जी

सुधाकर बोदले जी की जितनी तारीफ की जाये कम है। महासमुंद जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग में मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना और रेडी -टू -इट स्किम में 30 लाख का घोटाला हुआ। जाँच पूरी होने के बावजूद भी घपलेबाजों पर कार्रवाई नहीं होने पर वहीं के एक ईमानदार अफसर को दोषियों को सजा दिलाने अपने घर में अनशन में बैठना पड़ा। ईमानदार अफसर के इस काम पर प्रशासन जागा और आनन-फानन में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करना पड़ा। जनता में खुसुर-फुसुर है कि काश हर विभाग में एक सुधाकर बोदले हो तो भ्रस्टाचार ख़त्म हो जायेगा। लेकिन दूसरी तरफ एक महिला एसडीएम भी है जिनकी डिमांड से पटवारी और उनसे छोटे कर्मचारी हलाकान होकर मोर्चा खोल दिए हैं। दरअसल अफसर महोदया देशी मुर्गा,कबूतर खाने के शौकीन हैं अब रोज रोज कहाँ से इंतजाम करें, सो उन लोगो ने भी मोर्चा खोल दिया

सच बोलना मंहगा भी पड़ता है

जनाधिकार पार्टी के नेता पप्पू यादव को सच बोलना मंहगा पड़ गया दरअसल वे बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था को उजागर कर रहे थे। मुद्दा पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी के छपरा स्थित परिसर में बेकार पड़े 30 सरकारी एम्बुलेंसों का था जो रूडी ने अपने सांसद निधि से 2019 में खऱीदा था। जनाधिकार पार्टी के नेता पप्पू यादव ने सोशल मीडिया में उन एम्बुलैंसो का वीडियो वायरल कर दिया, फिर क्या पप्पू यादव पर कई धाराओं में जुर्म दर्ज कर लिया गया। इसी प्रकार उत्तरप्रदेश के सीतापुर सदर से विधायक राकेश राठौड़ जी ने अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए कहा कि उत्तरप्रदेश में भी स्वास्थ्य सेवाएं कोई अच्छी नहीं है।खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने स्टाफ के पॉजिटिव आने के बाद होम आइसोलेट हो गए है। जब मुखिया ही घर बैठ गये हो तो जनता का क्या हाल होगा, गंगा नदी में बहते लाशो को दुनिया देख ही चुकी है।साथ ही उत्तरप्रदेश में लगभग 5 भाजपा विधायको की कोरोना की दूसरी लहर में निधन हो चुका है। विधायक जी ने कहा कि अगर हकीकत बयान किया तो देशद्रोही घोषित होने में देर नहीं लगेगी। जनता में खुसुर-फुसुर है कि इन घटनाओं से जाहिर होता है कि सच बोलना भी मंहगा पड़ता है।

जय हो भूपेश दाऊ की

कोरोना महामारी के दौरान लाकडाउन ने लोगो का जीना मुहाल कर दिया है। ऐसे संकट की घडी में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गरीब जनता के लिए राजीव किसान न्याय योजना के तहत धान उत्पादकों को सहायता के रूप में 1500 करोड़ रूपये स्व.राजीव गांधी के जयंती आज 21 मई को दी। सोने पे सुहागा इस योजना में दलहनी,तिलहनी और कृषि वानिकी को भी शामिल कर सभी वर्ग को फायदा पहुंचाया। जय हो दाऊ जी की।

नहले पे दहला

पिछले दिनों पूर्व विधायक देवजी भाई पटेल ने 2500 रूपये का चेक मुख्यमंत्री कार्यालय भेजा था साथ में एक खत भी भेजा जिसका मजमून ये था कि अनियंत्रित कोविड-19 से वेंटिलेटर पर पड़ी राज्य सरकार की दुखद मृत्यु हो गयी है ,अंतिम संस्कार के लिए अपने तरफ से वे 25 सौ रुपया दे रहे हैं। अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने खत का जवाब में लिखा कि प्रिय भाई देवजी पटेल आपने चेक गलत पते पर भेज दिया है इसे प्रधानमंत्री जी या गृहमंत्री जी को भेजें। जनता में खुसुर-फुसुर है इसे कहते हैं नहले पे दहला , कोरोना में भी राजनीति करने से ये नेता बाज़ नहीं आते।

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