इस छापेमारी में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। हैरानी की बात है कि यह संगठन करीब सोलह सालों से सक्रिय है और अब तक इस पर शिकंजा कसने की जरूरत क्यों नहीं समझी गई।