मगर इससे यह भी साफ होता है कि इतने लंबे वक्त तक पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय वित्तीय अपराध को संरक्षण देने के आरोप में घिरा रहा और खुद को बेदाग साबित करने में सक्षम नहीं हो सका था।