एक ओर हम आजादी की 75वी वर्षगांठ मना रहे हैं, तो वहीं संकीर्ण सोच, निम्न मानसिकता, जातिगत भेदभाव, छुआछूत जैसी कुप्रथाओं से उबर नहीं पा रहे हैं। वह भी साथ-साथ चली आ रही है।