क्या चापलूसी हम भारतीय पहचानते नहीं? क्या इसलिए कि यह हमारे लिए स्वाभाविक है? ये सवाल मुझे पहले भी सताते रहे हैं, लेकिन पिछले सप्ताह दो घटनाओं के कारण कुछ ज्यादा सताया है इन सवालों ने।