क्या गजब की ‘आशिक’ मिजाजी है जनाब नीतीश कुमार की कि सुबह को जिस ‘माशूक’ पर जान फिदां करते हैं शाम होने तक उसे छोड़ कर दूसरे माशूक की ‘जां निसारी’ की कसमें खाने लगते हैं।