खेल

भारतीय फुटबॉल का ISL मे सातवां सीजन, कवरेज में भी बढ़ोतरी

Apurva Srivastav
2 March 2021 4:46 PM GMT
भारतीय फुटबॉल का ISL मे सातवां सीजन, कवरेज में भी बढ़ोतरी
x
भारत की पहचान एक क्रिकेट प्रेमी देश के रूप में होती है. स्टेडियमों में हजारों की संख्या में लोग हाथों में तिरंगा लिए हुए पहुंचते हैं. कहा जाता है

भारत की पहचान एक क्रिकेट प्रेमी देश के रूप में होती है. स्टेडियमों में हजारों की संख्या में लोग हाथों में तिरंगा लिए हुए पहुंचते हैं. कहा जाता है कि क्रिकेट यहां के लोगों के रगों में बहता है. हालांकि, एक खेल ऐसा भी है, जो बहुत ज्यादा तो नहीं, लेकिन धीरे-धीरे लोगों के बीच लोकप्रिय हो रहा है. इस खेल का नाम है, फुटबॉल (Football). भले ही हम वर्तमान में फीफा रैकिंग्स (Fifa Rankings) में 104 स्थान पर हैं. लेकिन आने वाले दिनों में हम इस रैकिंग्स से आगे जाते हुए दिखाई दे सकते हैं. इसके पीछे का कारण है (इंडियन सुपर लीग) ISL. 2013 में इसकी परिकल्पना के सामने आने के बाद साल 2014 में ISL का पहला सीजन लॉन्च हुआ. वर्तमान में ISL का सातवां सीजन खेला जा रहा है.

ऐसे में सवाल उठने लगे कि क्या अब प्रोफेशनल फुटबॉल के दम पर भारत फीफा वर्ल्ड कप (Fifa World Cup) जैसे प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में अपनी जगह बना पाएगा. भारत में ISL से पहले भी कई तरह की प्रोफेशनल लीग रही हैं, लेकिन हाल के दिनों में जिस तरह की सफलता ISL को मिली है. वैसी सफलता इससे पहले की लीग्स को नहीं हासिल हो सकी है. 2006 में ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (AIFF) ने I-League के जरिए फुटबॉल को प्रोफेशनल बनाने का प्रयास किया. लेकिन खराब मार्केटिंग रणनीति और बेहतर प्लान ना होने से इसका बेड़ा गर्क हो गया. वहीं, 23 अक्टूबर, 2013 में IMG-Reliance, स्टार स्पोर्ट्स और AIFF ने ISL को लॉन्च किया. अपनी लॉन्चिंग के बाद से ही इसने दिखाया है कि ये भारतीय फुटबॉल का कायाकल्प कर सकता है.
भारतीय फुटबॉल को फिर से दुनिया के मानचित्र पर रखने में ISL ने बड़ी भूमिका निभाई है. ISL के शुरुआती सीजन में दुनिया के कुछ हाई-प्रोफाइल खिलाड़ियों को टीमों ने अपना हिस्सा बनाया. इससे लोगों के बीच फुटबॉल को लेकर क्रेज तो पैदा हुआ ही साथ ही स्टेडियमों में लोगों की संख्या बढ़ी. अब तक भारतीय खिलाड़ियों को I-League में खेलने का मौका तो जरूर मिला. लेकिन जिस तरह रातों-रात वो दुनिया के कुछ दिग्गज खिलाड़ियों संग पिच को साझा कर रहे थे, उससे उन्हें काफी कुछ सीखने को मिला. ISL की कवरेज में भी बढ़ोतरी देखने को मिली. नेशनल टेलीविजन से लेकर ऑनलाइन माध्यम तक में लोग आसानी से मैच का लुत्फ उठा पा रहे हैं. साथ ही फुटबॉल प्रेजेंटेशन में भी पहले से सुधार हुआ.

इन सब का सीधा असर भारतीय फुटबॉल टीम (Indian Football Team) पर देखने को मिला है. अब लोगों में भारतीय टीम के अंतरराष्ट्रीय मैचों को लेकर काफी उत्सुकता रहती है. टीम के मैच से पहले प्रेजेंटेशन, कौन खिलाड़ी किस पोजिशन पर खेलने वाला, उसका पिछला प्रदर्शन. ये कुछ ऐसी चीजें हैं, जिन्हें लेकर मैच से पहले काफी चर्चा की जाती है. दूसरी ओर, विदेशी खिलाड़ियों और दिग्गजों संग पिच साझा करने से भारतीय खिलाड़ी अब प्रतिद्वंदी टीम से डटकर मुकाबला करते हुए नजर आते हैं. पहले भारतीय टीम डिफेंस पर ज्यादा फोकस करती हुई नजर आती थी, लेकिन अब खिलाड़ियों को काउंटर अटैक करते हुए देखा जा सकता है.

वहीं, पहले के दिनों में भारत के तीन-चार शहरों को छोड़कर अगर किसी अन्य स्टेडियम में मैच होता था तो लोगों की बड़ी भीड़ इसका रुख नहीं करती थी. लेकिन अब इसमें परिवर्तन देखने को मिला है. इसका बड़ा उदाहरण 2022 वर्ल्ड कप और AFC क्वालिफायर्स के लिए भारत और बांग्लादेश के बीच हुआ मैच, जब 61 हजार लोग कोलकाता में मैच देखने पहुंचे. वहीं, कुछ ऐसे एरिया भी हैं, जहां ISL के जरिए भारतीय फुटबॉल में बहुत ही बेहतरीन सुधार हुआ है. वो एरिया है, फुटबॉल टेक्टिक्स, खिलाड़ियों का प्रदर्शन और फिटनेस. पहले की तुलना में भारतीय टीम के खिलाड़ियों की फिटनेस में खासा इजाफा देखने को मिला है. अब खिलाड़ी पिच पर उतरते हैं, तो उनमें टेक्टिनकल खेल का नमूना देखने को मिलता है.


Next Story