विज्ञान

कोरोना के गंभीर मरीजों की जान बचाने में विटामिन डी कारगर साबित

Gulabi
2 March 2022 2:53 PM GMT
कोरोना के गंभीर मरीजों की जान बचाने में विटामिन डी कारगर साबित
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जान बचाने में विटामिन डी कारगर साबित
कोरोना के गंभीर मरीजों की जान बचाने में विटामिन डी बेहद कारगर है। पीजीआई के विशेषज्ञों ने यह शोध से साबित किया है। उन्होंने कोरोना के ऐसे गंभीर मरीजों को शामिल किया, जिनमें विटामिन डी का स्तर भी बेहद कम हो चुका था। उन मरीजों को सामान्य मानक से कई गुना ज्यादा विटामिन डी की खुराक दी गई जिससे चौंकाने वाले परिणाम सामने आए। उस खुराक से जहां एक ओर उन मरीजों में विटामिन डी का स्तर तेजी से बढ़ा, वहीं दूसरी ओर कोरोना की गंभीरता भी सामान्य से कई गुना ज्यादा तेजी से कम हुई।
आईसीयू में भर्ती मरीजों को विटामिन डी ने वेंटिलेटर पर जाने से बचा लिया और वे जल्दी ठीक हो गए। इस शोध को पीजीआई के डीन एकेडमिक प्रो. जीडी पुरी, इंडोक्राइनोलॉजी के प्रमुख प्रो. संजय बडाडा, डॉ. आशु रस्तोगी, डॉ. अजय सिंह, डॉ. कमल काजल, डॉ. नवीन नायक और डॉ. शिवलाल रस्तोगी ने किया है।
2021 में ऐसे किया शोध
पीजीआई एनेस्थीसिया विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर व इस शोध के प्रिंसिपल इन्वेस्टीगेटर डॉ. अजय सिंह ने बताया कि जुलाई 2021 में कोरोना के गंभीर 90 मरीजों को शामिल किया गया। उनमें से 45 को विटामिन डी की खुराक दी गई और 45 को नहीं। 45 मरीजों को एक दिन में विटामिन डी की 60 लाख यूनिट खुराक ओरल सॉल्युशन के रूप में दी गई। इसके साथ ही उनमें लगातार विटामिन डी के स्तर की जांच की गई।
तीसरे दिन ही उनमें विटामिन डी का जो स्तर 20 से कम था बढ़कर 90 तक पहुंच गया। महज तीन दिनों में उन गंभीर मरीजों में ऑक्सीजन का स्तर सामान्य होने लगा। वेंटीलेटर पर जाने का खतरा न के बराबर रह गया। संक्रमण मापने के अलग-अलग मानक भी तेजी से कम होने लगे जबकि जिनको विटामिन डी नहीं दिया गया उनकी स्थिति गंभीर बनी रही।
2020 में भी विटामिन डी को लेकर हुआ था शोध
पीजीआई में कोरोना की पहली लहर के बाद 2020 नवंबर में भी विटामिन डी को लेकर शोध किया गया था। इसके मुख्य शोधकर्ता डॉ. आशु रस्तोगी ने कोरोना के एसिम्टोमैटिक (हल्के लक्षण वाले) मरीजों को उसमें शामिल किया था। उन मरीजों को दो वर्गों में बांटकर एक वर्ग को विटामिन डी दिया गया जबकि दूसरे को नहीं। जिन मरीजों को विटामिन डी दिया गया था वे जल्दी कोरोना मुक्त हो गए थे। वहीं जिन्हें नहीं दिया गया उनकी रिकवरी धीमी थी। उस दौरान किए गए शोध में कोरोना के गंभीर मरीजों को शामिल करने की अनुमति नहीं मिली थी।
विटामिन डी के प्रभाव का आकलन कोरोना के गंभीर मरीजों पर भी करना जरूरी था। इसलिए अनुमति मिलते ही उन मरीजों पर इसका परिणाम जांचा गया। शोध से यह स्पष्ट हो गया कि विटामिन डी कोरोना के गंभीर मरीजों में संक्रमण की गंभीरता कम करने के साथ ही उन्हें जल्दी ठीक करने में बेहद कारगर है।
-प्रो. जीडी पुरी, डीन एकेडमिक पीजीआई
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