विज्ञान

सिंगापुर बनने वाला है दुनिया का पहला फेस स्कैन करने वाला देश...पर ये आफत पड़ सकता है गले

Gulabi
20 Oct 2020 8:53 AM GMT
सिंगापुर बनने वाला है दुनिया का पहला फेस स्कैन करने वाला देश...पर ये आफत पड़ सकता है गले
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सिंगापुर पहला ऐसा देश है, जो अपने यहां नेशनल आइडेंटिटी स्कीम के तहत चेहरे की पहचान करेगा

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सिंगापुर पहला ऐसा देश है, जो अपने यहां नेशनल आइडेंटिटी स्कीम के तहत चेहरे की पहचान करेगा. इसे बैंकिंग सेवा के साथ जोड़ दिया गया है और जल्द ही ये देशभर में शुरू हो जाएगा. इस फेस स्कैन का इस्तेमाल सरकारी एजेंसियों, बैकिंग सेवाओं और अन्य सुविधाओं के लिए होगा. सिंगापुर इसे तकनीक का लाभ उठाना बता रहा है, तो दूसरी ओर इससे प्राइवेसी पर भी सवाल उठने लगे हैं.

इस तरह से काम करेगा

राष्ट्रीय पहचान के लिए जैसे देश कोई आइडेंटिटी नंबर जारी करते हैं, उसी तरह से सिंगापुर अपने नागरिकों के चेहरे को पहचान से जोड़ेगा. इसमें कैमरे से चेहरे को स्कैन किया जाता है. ये बायोमैट्रिक तकनीक से होता है ताकि चेहरे के बारीक से बारीक फीचर पहचानें जा सकें. जब कोई व्यक्ति बैंक पहुंचे या किसी दूसरी सेवा के लिए संस्थान जाए तो चेहरे का स्कैन करके उसका पहले से मौजूद डाटाबेस से मिलान होता है. कहा जा रहा है कि इससे धोखाधड़ी का डर कम रहता है क्योंकि चेहरे का मिलान भी फिंगर प्रिंट की तरह ही विश्वसनीय है.

कितना सही होता है

इस बारे में ब्रिटिश अखबार द गार्डियन में एक बड़ी रिपोर्ट आई है. कई स्टडीज के हवाले से ये बताती है कि फेशियल स्कैन काफी प्रामाणिक हो चुका है और इसमें धोखाधड़ी की आशंका नहीं के जितनी है. साल 2014 से लेकर साल 2018 के बीच सिस्टम में बहुत से सुधार हुए और अब इसमें किसी भूल की गुंजाइश 0.2% प्रतिशत है.


सिंगापुर निकला आगे

तकनीक में काफी आगे रहा सिंगापुर अब पहचान के लिए इस तरीके को अपना चुका है. इस साल के अंत तक फेस स्कैन की तकनीक को डिजिटल आइडेंटिटी स्कीम सिंगपास के साथ जोड़ा जाएगा और सरकारी सेवाओं के लिए इसकी अनुमति दी जाएगी. चीन भी इस दिशा में आगे बढ़ने की कोशिश में है. वहीं अमेरिका में डीएल यानी ड्राइवर्स लाइसेंस को पहचान के लिए इस्तेमाल करते हैं. वैसे एयरपोर्ट जैसी जगहों पर संवेदनशीलता के कारण चेहरे का स्कैन जरूर होने लगा है.

तेजी से बढ़ा चेहरे के स्कैन का बाजार

यही वजह है साल 2009 में पहली बार आई इस तकनीक का फैलाव तेजी से हुआ. फोर्ब्स की रिपोर्ट में Facial Recognition Market के हवाले से बताया गया है कि कैसे ये तेजी से फैला. इसके मुताबिक साल 2019 में ये 3.2 बिलियन डॉलर का बाजार बन गया, जो साल 2024 तक 7.0 बिलियन तक चला जाएगा यानी दोगुने से भी ज्यादा आगे होगा.

अश्वेत चेहरे नहीं हो पाते स्कैन

हालांकि इसका दूसरा पहलू भी है. इसके तहत एक चौंकाने वाली बात ये देखी गई कि फेस स्कैन में अश्वेत लोगों का चेहरा ढंग से स्कैन नहीं हो पाता है. इसमें फॉल्स मैच रेट का कापी डर होता है. ये क्यों होता है, इस बारे में अब तक कोई साफ कारण सामने नहीं आया है. फेस स्कैन पर ये रिव्यू आईबीएम ने की थी.

जबर्दस्ती कराई जा सकती है पहचान

चेहरे की पहचान को बैंकिंग जैसी सेवा से जोड़ने पर एक बड़ा खतरा फोर्स्ड एक्टिवेशन का है. जैसे मान लें किसी का अपहरण कर लिया जाए और अपहरण करने वाले उसे जबर्दस्ती अपने फोन से चेहरे की पहचान करने को कहें. एपल फेस आईडी ने ऐसी संभावना को ध्यान में रखते हुए एक व्यवस्था की. इसमें एपल चेहरे की पहचान नहीं करेगा, अगर फोन मालिक सो रहा हो, या होश में न दिखे या चेहरे पर हवाइयां उड़ती दिखें. लेकिन इसका भी तोड़ हो सकता है. यही वजह है कि फेस स्कैन के साथ फोर्स्ड एक्टिवेशन का डर बताया जा रहा है.

डाटा प्राइवेसी का सवाल भी उठ रहा है

सोशल मीडिया में फेसबुक के फेशियल स्कैन करने पर पहले भी काफी बवाल मचा था. बता दें कि जिस फेसबुक को लोग आराम से इस्तेमाल करते हैं, वो आपके चेहरे को अपने डाटाबेस में रख चुका है. यहां तक कि अगर आप किसी फोटो में अपने किसी दोस्त को टैग करें तो वो भी डाटाबेस में चला जाता है. बवाल मचने पर फेसबुक ने इसके लिए विकल्प देना शुरू किया कि आपको अपने चेहरे का स्कैन चाहिए या नहीं. हालांकि इसके बाद भी खतरा तो बना हुआ है. ऐसे में अंदाजा लगा सकते हैं कि जब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से निजता खतरे में जा सकती है तो बैंक और सेहत जैसी सेवाओं से फेस स्कैन का जुड़ना कितना खतरनाक हो सकता है.

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