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वैज्ञानिकों का मानना- हमारे नॉनवेज खाने की वजह से विलुप्त होते जा रही बहुत सी प्रजातियां...दुनिया में सबसे ज्यादा तस्करी भी कारण

Gulabi
11 Oct 2020 11:05 AM GMT
वैज्ञानिकों का मानना- हमारे नॉनवेज खाने की वजह से विलुप्त होते जा रही बहुत सी प्रजातियां...दुनिया में सबसे ज्यादा तस्करी भी कारण
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नॉनवेज खाने की वजह से बहुत सी प्रजातियां विलुप्त होने जा रही हैं. कई स्टडीज इस ओर इशारा करती हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। वैज्ञानिकों का मानना है कि हमारे नॉनवेज खाने की वजह से बहुत सी प्रजातियां विलुप्त होने जा रही हैं. कई स्टडीज इस ओर इशारा करती हैं. कन्जर्वेशन लेटर्स नामक विज्ञान पत्रिका के मुताबिक कम से कम 200 प्रजातियां ऐसी हैं, जो गायब हो रही हैं. ये सब पिछले 250 सालों के भीतर हुआ है. जानिए, कौन सी वो प्रजातियां हैं, जो हमारे शौक की कीमत चुका रही हैं.



इसमें सबसे ऊपर है Chinese giant salamander. एक वक्त पर पूरे चीन में मिलने वाला छिपकली की तरह दिखने वाला ये जीव तेजी से गायब हुआ. पानी और जमीन दोनों में मिलने वाले सैलामेंडर को चीनी लोग चाव से खाते हैं. यही वजह है साल 1960 तक ही इसकी आबादी 80 फीसदी तक कम हो गई. इसे चीन की सरकार ने Endangered Species of Wild Fauna and Flora में सबसे ऊपर रखा ताकि इसे बचाया जा सके लेकिन तब भी चीन के लोग इसे खाते रहे. अब सैलामेंडर इतना कम हो चुका है कि ब्लैक मार्केट में काफी ऊंचे दामों पर मिलता है.





Dodo भी ऐसी ही एक स्पीशीज है. ये पंक्षियों की एक प्रजाति है जो उड़ नहीं पाती है. इसका वजह टर्की से भी ज्यादा होता है और एक औसत डोडो पक्षी लगभग 23 किलो का होता है. साल 1507 में पुर्तगालियों ने इसे खाने की शुरुआत की थी. इसके बाद व्यापार के लिए लगातार यात्रा करने वाले व्यापारी और सैलानी भी इसे चाव से खाने लगे. साल 1681 में दुनिया का आखिरी डोडो भी मार दिया गया. अब सिर्फ म्यूजियम में इसके अवशेष रखे हुए हैं.




एक और स्तनधारी Pangolin को भी खूब खाया जाता है. चीन से फैले कोरोना वायरस के बारे में ये भी कहा जा रहा है कि ये पेंगोलिन या फिर चमगादड़ से फैला है, वैसे इसका कोई प्रमाण फिलहाल नहीं मिल सका है. साल 2000 से पेंगोलिन की दुनिया में सबसे ज्यादा तस्करी हो रही है. चीन में लोग न केवल इसे खाते हैं, बल्कि चिकित्सा में भी इसका इस्तेमाल करते हैं. यही वजह है कि ये स्पीशीज तेजी से घट रही है.




एक खास तरह की मछली, जिसे European eel कहते हैं, ये भी इस श्रेणी में आती है. ये मछली अटलांटिक से निकलकर ताजे पानी की ओर माइग्रेट करती है ताकि इसका विकास ठीक तरह से हो सके. पूरे विकास के बाद ईल वापस अटलांटिक लौट जाती है. ये पूरे यूरोप में बहुत पसंद की जाती है और खाई जाती है. तेजी से घटती संख्या को देखते हुए इसे खाने पर भी रोक लगा दी गई लेकिन तब भी इसकी तस्करी जारी है.





हिरण की तरह दिखने वाला एक जंतु Saola भी काफी तेजी से गायब हो रहा है. ये लाओस और वियतनाम की सीमा पर मिलने वाला पशु है, जिसे स्थानीय लोग भैंस की श्रेणी में रखते हैं और खाते हैं. ये उनके रोजमर्रा के भोजन का हिस्सा हुआ करता था, जिसमें कई सारे परिवार एक साथ मिलकर गोश्त का आनंद लेते. साल 1990 में पहली बार पता चला कि ये प्रजाति गायब हो रही है, जब इनकी सींगें स्थानीय शिकारियों के घर मिलीं. माना जा रहा है कि अब केवल 30 ही Saola बचे हैं





अब अगर पूरी तरह से खत्म हो चुकी स्पीशीज की बात करें तो इसमें सबसे पहला नाम Woolly Mammoth का आता है, जिसे वैज्ञानिक भाषा में Mammuthus primigenius कहते हैं. हाथी और गैंडे से मिलती-जुलती ये प्रजाति स्तनधारियों में सबसे प्राचीन मानी जाती है, जो हमारे खाने की वजह से ही आज से 7500 साल पहले गायब हो गई. वैसे ब्रिटेनिका में आई रिपोर्ट के अनुसार हमारे शिकार के अलावा तापमान का बढ़ना भी इसके विलुप्त होने की वजह रहा

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