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विज्ञान
तेजी से बदल रहा है नेप्च्यून का तापमान, प्लैनेटरी साइंस जर्नल में प्रकाशित हुआ अध्ययन
Gulabi Jagat
13 April 2022 5:07 AM GMT
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वैज्ञानिकों को नहीं थी ऐसी उम्मीद
वॉशिंगटन: सौरमंडल (Solar System) का अध्ययन कर रहे वैज्ञानिकों ने नेप्च्यून (Neptune) को लेकर कुछ चौंकाने वाली जानकारी जुटाई है. प्लैनेटरी साइंस जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में बताया गया है कि नेप्च्यून के वायुमंडल का तापमान (Temperature of Neptune Atmosphere) अप्रत्याशित रूप से बदल रहा है.
वैज्ञानिकों को नहीं थी ऐसी उम्मीद
हमारी सहयोगी वेबसाइट WION में छपी खबर के अनुसार, दुनियाभर के कई टेलीस्कोप की मदद से वैज्ञानिक नेप्च्यून के तापमान में आए इस बदालव की साफ तस्वीर बनाने में सफल रहे हैं. उम्मीद के विपरीत उन्होंने पाया है कि इस ग्रह का औसत तापमान कम हो रहा है. अध्ययन के प्रमुख लेखक और लेस्टर यूनिवर्सिटी के पोस्ट डॉक्टोरल रिसर्च एसोसिएट डॉ माइकल रोमन (Michael Roman) ने कहा, 'इस बदालव की आशा नहीं थी. चूंकि हम इसका शुरुआती दक्षिणी गर्मी के मौसम से अवलोकन कर रहे थे, इसलिए हम उम्मीद कर रहे थे कि धीरे-धीरे यहां गर्मी बढ़नी चाहिए ना कि ठंडक'.
क्या है इस बदलाव का कारण?
इस बदलाव का सटीक कारण अभी पता नहीं चल सका है. हालांकि, शोधकर्ताओं का मानना है कि तापमान में विविधता नेप्च्यून के वायुमंडलीय रसायन विज्ञान में मौसमी परिवर्तनों से संबंधित हो सकती है, जो इसमें बदलाव कर सकती है कि वातावरण कितने प्रभावी ढंग से ठंडा होता है. इसके अलावा 11 साल का सौर चक्र भी इसकी वजह हो सकता है.
दो दशकों के बदलाव किए रिकॉर्ड
इस अध्ययन में बताया गया है कि नेप्च्यून के वायुमंडल में पिछले लगभग दो दशकों में कैसे बदलाव आ रहा है. अध्ययन के सहलेखक और NASA की Jet Propulsion Laboratory के वरिष्ठ शोध वैज्ञानिक डॉ ग्लेन ओर्टोन ने बताया, 'हमारा डेटा नेप्च्यून सीजन के आधे से भी कम समय को कवर करता है, इसलिए कोई भी इतने बड़े और तेज बदलाव देखने की उम्मीद नहीं कर रहा था'.
सबसे दूर का गृह है Neptune
उन्होंने आगे कहा कि नेप्च्यून हममें से कई लोगों के लिए बहुत दिलचस्प है, क्योंकि हम अभी भी इसके बारे में बहुत कम जानते हैं. गौरतलब है कि नेप्च्यून सौरमंडल का सबसे दूर का ग्रह है. नेप्च्यून के सबसे ऊंचे बादल इतनी तेजी से विकसित होते हैं कि ग्रह की उपस्थिति नाटकीय रूप से बदल सकती है. इसका औसत व्यास लगभग 30,600 मील (49,250 किमी) है, जो इसे पृथ्वी से चार गुना चौड़ा बनाता है.
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