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जानें क्यों सूरज की नीली रोशनी पड़ते ही खिल उठते हैं फूल, वैज्ञानिकों ने कही ये बात

Gulabi
21 Jan 2021 3:00 PM GMT
जानें क्यों सूरज की नीली रोशनी पड़ते ही खिल उठते हैं फूल, वैज्ञानिकों ने कही ये बात
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क्या आपको पता है कि सुबह होते ही फूल क्यों खिल जाते हैं?

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। क्या आपको पता है कि सुबह होते ही फूल क्यों खिल जाते हैं? प्रकृति में ऐसा क्या बदलाव होता है कि पौ फटते ही फूल खिल उठते हैं और पेड़ पौधे खिलखिला उठते हैं. वसंत के महीने में आपने देखा होगा कि नए से लेकर पुराने पड़े पौधे भी खिल उठते हैं. पेड़-पौधों पर नए और मुलायम पत्ते आते हैं. फूलों में कलियां फूटने लगती हैं. बसंत के दिनों में फूलों में खिलखिलाहट ज्यादा दिखती है जिसका बड़ा कारण मौसमी प्रभाव होता है. बसंत में ही ज्यादातर फूल क्यों खिलते हैं, इसके बारे में कहा जाता है कि बसंत में दिन लंबे होते हैं, बादल कम लगते हैं, पौधों पर सूर्य की सीधी रोशनी पड़ती है. लिहाजा फूल खिल उठते हैं.


फूलों के खिलने के बारे में विज्ञान की मशहूर पत्रिका साइंस ने विस्तार से बताया है. पत्रिका की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सूर्य की किरणों में शामिल नीली किरणें फूलों के खिलने के लिए जिम्मेदार होती हैं. सूर्य की किरणों में बै नी आ ह पी ना ला यानी कि बैगनी, नीला, आसमानी, हरा, पीला, नारंगी और लाल सात रंग होते हैं. इसमें नीले रंग की वजह से सुबह-सुबह फूल खिल उठते हैं.


रिपोर्ट में बताया गया है कि नीली रोशनी पड़ते ही फूलों के अंदर एक तरह की रासायनिक प्रक्रिया होती है जिससे फूल खिल जाते हैं. इसके लिए एक प्रोटीन जिम्मेदार होता है जो नीले रंग के प्रति काफी संवेदनशील होता है. यह प्रोटीन पौधे में फूल खिलाने को प्रभावित करता है. कुछ फूल ऐसे भी होते हैं जो रात को खिलते हैं. ऐसे फूलों में दूसरे तरह की रासायनिक प्रक्रिया होती है और इसके लिए दूसरे तरह के प्रोटीन और जीन जिम्मेदार होते हैं.

फूल खिलाने के लिए ये प्रोटीन जिम्मेदार
फूल खिलाने वाले इस प्रोटीन का नाम एफकेएफ1 है. फूल में यह प्रोटीन जीन को निर्देश देता है कि दिन लंबा होने वाला है. इसी तरह फूल में सीओ नाम का एक और प्रोटीन होता है जो फूल खिलाने वाले जीनों को सक्रिय कर देता है, जिससे कि फूल खिल जाते हैं. शोध में बताया गया है कि पौधे सूर्य की किरणों की नीली रोशनी और दिन की बढ़ती लंबाई से प्राकृतिक बदलावों के बारे में सटीक जानकारी पाल लेते हैं. ऐसा भी देखा जाता है कि बसंत क दौरान पौधों पर लगे फूलों के आसपास भंवरे मंडराते हैं. भवरों के मंडराने से पौधों को पता चल जाता है कि उनके बीज दूर-दूर तक फैलाए जाएंगे.

इस आधार पर वैज्ञानिक अब ये पता लगाना चाह रहे हैं कि अगर कृत्रिम ढंग से साल में दो तीन बार बसंत का माहौल बना दिया जाए तो पौधे जल्द बड़े होंगे और उनमें जल्द फूल भी खिलेंगे. इससे फलों में तेजी आएगी और उपज बढ़ेगी. इसका फायदा उपज बढ़ाने में होगा और इसका बड़े स्तर पर इस्तेमाल किया जाए खेती में बड़ी तब्दीली आ सकती है. वैज्ञानिक इस शोध में लगे हैं और उन्हें सफलता मिलती है तो यह बड़ी उपलब्धि होगी.

जीवन चक्र का असर
अब एक सवाल यह भी उठता है कि फूल कैसे जानते हैं कि उन्हें कब खिलना है. तो इसका जवाब है कि प्रकृति ने सभी वनस्पति और जंतु जगत का एक जीवन चक्र निर्धारित किया है. वनस्पति और जंतु जगत उस जीवन चक्र की निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार ही चलते हैं. इसलिए जीवन चक्र के मुताबिक पौधों में फूलों का आना और उनका खिलना तय होता है. हालांकि इसके लिए सूर्य की किरणें जरूरी हैं जिससे कि पौधों के अंदर रासायनिक प्रक्रिया होती है.


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