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भारत के त्योहारों में खानपान (Food in Festivals) का सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व व इतिहास बेहद रोचक रहा है
भारत के त्योहारों में खानपान (Food in Festivals) का सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व व इतिहास बेहद रोचक रहा है. खासकर जब बात होली की हो तो व्यंजनों की बौछार हो जाती है. लेकिन इस बार कोरोना वायरस (Coronavirus) के प्रकोप के चलते कई जगहों पर सार्वजनिक तौर पर सजने वाली दुकानें लगभग न के बराबर होंगी. बहरहाल भांग (Scientific And Religious Benefits Of Cannabis) न सिर्फ होली के महोत्सव के लिए खास है बल्कि विज्ञान भी भांग के औषधीय गुणों का कायल है. जानिए विज्ञान और धर्म के एंगल से भांग की खासियत.
ठंडाई और गुजिया
होली के त्योहार पर खानपान की बात की जाए तो दो व्यंजन सबसे पहले आते हैं, एक गुजिया (Gujhiya) और दूसरी ठंडाई. ठंडाई (Thandai) एक पेय है, जो सर्दियों के जाने और गर्मियों के आने के बीच के समय का स्वादिष्ट और पौष्टिक आहार माना जाता है. लेकिन होली परंपरा (Holi Traditions) में इसका सीधा संबंध भांग के साथ रहा है.
कई दिनों तक चलती है होली
होली के अद्भुत रंग हैं. होलिका दहन से इस त्योहार की शुरुआत होती है और रंग खेलने वाली होली मनाई जाती है. लेकिन जरा रुकिए, होली यहीं खत्म नहीं होती है बल्कि इसके तीन दिन बाद रंगपंचमी तक होली का त्योहार मनाया जाता है. इस बार Covid-19 के चलते कई तरह के प्रतिबंधों के कारण कुछ राज्यों में होली सीमित ढंग से मनाई जा रही है.
भांग और होली के बीच संबंध
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) और महाराष्ट्र (Maharashtra) जैसे बड़े राज्यों में होली के दौरान सार्वजनिक उत्सवों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं. ऐसे में मप्र में भांग के शासकीय मान्यता प्राप्त ठेकों के भी बंद रहने की खबरें हैं. आपको बता दें कि भांग के साथ होली का संबंध पारंपरिक तौर पर रहा है. भांग का सीधा संबंध भगवान शिव के साथ है, लेकिन होली के साथ भांग की परंपरा के पीछे भगवन शिव सीधे तौर पर नहीं जुड़े हैं. ऐसे में जानते हैं क्या है भांग और होली की कहानी.
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