विज्ञान

अंतरिक्ष में घूमती 11 लाख से ज्‍यादा चट्टानों के बारे में जानिए सबकुछ

Gulabi Jagat
6 Aug 2022 3:58 PM GMT
अंतरिक्ष में घूमती 11 लाख से ज्‍यादा चट्टानों के बारे में जानिए सबकुछ
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गुजरे कुछ रोज में पृथ्‍वी ने जिस चीज का सबसे ज्‍यादा सामना किया
गुजरे कुछ रोज में पृथ्‍वी ने जिस चीज का सबसे ज्‍यादा सामना किया है, वह हैं एस्‍टरॉयड (Asteroid)। 29 और 30 जुलाई को तो लगातार दो एस्‍टरॉयड पृथ्‍वी के करीब से गुजरे, जिनका साइज म‍ल्‍टीस्‍टोरी बिल्डिंग जितना था। इसी गुरुवार को एक और एस्‍टरॉयड पृथ्‍वी के नजदीक से होकर गया। इसमें एक हजार परमाणु बमों जितनी ताकत थी। जब भी कोई एस्‍टरॉयड पृथ्‍वी के करीब से गुजरता है, तो दुनियाभर की स्‍पेस एजेंसियां उसे मॉनिटर करती हैं, क्‍योंकि अंतरिक्ष में तैरती ये चट्टानें पृथ्‍वी को नुकसान पहुंचा सकती हैं, आखिर डायनासोर भी तो एस्‍टरॉयड के पृथ्‍वी पर टकराने से ही खत्‍म हुए थे। आज इस स्‍टोरी में हम भी एस्‍टरॉयड को समझने की कोशिश करेंगे।
क्‍या हैं एस्‍टरॉयड
नासा के अनुसार, इन्‍हें लघु ग्रह भी कहा जाता है। जैसे हमारे सौर मंडल के सभी ग्रह सूर्य का चक्‍कर लगाते हैं, उसी तरह एस्‍टरॉयड भी सूर्य की परिक्रमा करते हैं। लगभग 4.6 अरब साल पहले हमारे सौर मंडल के शुरुआती गठन से बचे हुए चट्टानी अवशेष हैं एस्‍टरॉयड। वैज्ञानिक अभी तक 11 लाख 13 हजार 527 एस्‍टरॉयड का पता लगा चुके हैं।
मंगल और बृहस्‍पति के बीच घूमते हैं ज्‍यादातर एस्‍टरॉयड
ज्‍यादातर एस्‍टरॉयड एक मुख्‍य एस्‍टरॉयड बेल्‍ट में पाए जाते हैं, जो मंगल और बृहस्‍पति ग्रह के बीच है। इनका साइज 10 मीटर से 530 किलोमीटर तक हो सकता है। अबतक खोजे गए सभी एस्‍टरॉयड का कुल द्रव्‍यमान पृथ्‍वी के चंद्रमा से कम है।
ज्‍यादातर एस्‍टरॉयड का आकार अनियमित होता है। कुछ लगभग गोलाकार होते हैं, तो कई अंडाकार दिखाई देते हैं। कुछ एस्‍टरॉयड तो ऐसे भी हैं, जिनका अपना चंद्रमा है। कई के दो चंद्रमा भी हैं। वैज्ञानिकों ने डबल और ट्रिपल एस्‍टरॉयड सिस्‍टम की खोज भी की है, जिनमें ये चट्टानों एक-दूसरे के चारों ओर घूमती रहती हैं।
एस्‍टरॉयड को तीन वर्गों- सी, एस और एम टाइप में बांटा गया है। सी-टाइप (चोंड्राइट chondrite) एस्‍टरॉयड सबसे आम हैं। ये संभवतः मिट्टी और सिलिकेट चट्टानों से बने होते हैं और दिखने में गहरे रंग के होते हैं। ये सौर मंडल की सबसे पुरानी चीजों में एक हैं। एस टाइप के एस्‍टरॉयड सिलिकेट मटीरियल और निकल-लौह से बने होते हैं। वहीं एम टाइप एस्‍टरॉयड मैटलिक (निकल-लौह) हैं। इनकी संरचना सूर्य से दूरी पर निर्भर करती है।
ऐसे आते हैं पृथ्‍वी के करीब
एस्‍टरॉयड जब पृथ्‍वी के करीब आते हैं, तो वैज्ञानिक इनके और पृथ्‍वी के बीच की दूरी को देखते हैं। इसके लिए सैटेलाइट और रडार की मदद ली जाती है। ज्‍यादातर एस्‍टरॉयड मंगल और बृहस्‍पति ग्रह के बीच मेन एस्‍टरॉयड बेल्‍ड में परिक्रमा करते हैं, लेकिन कई एस्‍टरॉयड की कक्षाएं ऐसी होती हैं, जो पृथ्‍वी के पास से गुजरती हैं। पृथ्वी के कक्षीय पथ को पार करने वाले एस्‍टरॉयड को अर्थ-क्रॉसर्स के रूप में जाना जाता है।
नामकरण भी दिलचस्‍प!
जब किसी एस्‍टरॉयड की खोज होती है, तो उसका नामकरण इंटरनेशनल एस्‍ट्रोनॉमिकल यूनियन कमिटी करती है। नाम कुछ भी हो सकता है, लेकिन साथ में एक नंबर भी उसमें जोड़ा जाता है जैसे- (99942) एपोफिस। कलाकारों, वैज्ञानिकों, ऐतिहासिक पात्रों के नाम पर भी एस्‍टरॉयड का नाम रखा जाता है।
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