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दुनिया की कई अंतरिक्ष एजेंसी मंगल पर अपने मानव अभियान भेजने की तैयारी में हैं
दुनिया की कई अंतरिक्ष एजेंसी मंगल (Mars) पर अपने मानव अभियान (Human mission)भेजने की तैयारी में हैं. लेकिन इतना ही नहीं मंगल पर तो बस्ती बसाने की भी तैयारियां चल रही हैं. इसमें एलन मस्क के अलावा अब चीन ने भी अपना रोडमैप बना लिया है. इस काम के लिए आने वाली कई चुनौतियों का जिक्र होता रहा है. हाल ही में प्रकाशित एक किताब में वील कर्लन के डॉ क्रिस्टोफर ई. मेसन ने इस पर चर्चा की है कि इसके लिए ऐसे वैज्ञानिकों की जरूरत होगी जो जीन्स में बदलाव (Changes in genes) कर सके.
जेनेटिक इंजीनियरिंग (Genetic Engineering) के क्षेत्र में लंबे समय से शोध कर रहे मेसन का कहना है कि मानव शरीर खास तौर पर पृथ्वी के जीवन का आदी हो गया है और चंद्रमा और मंगल (Mars) तक की यात्राओं के लिए तैयार नहीं है. उनका मानना है कि संभव है कि एक दिन जीन एडिंटिंग तकनीक (Gene editing Technology) या फिर अन्य किसी तरह की जीन संबंधी तकनीक उपयोग कर अंतरिक्ष यात्रियों को लंबी यात्राओं के लिए तैयार किया जा सकता है. मेसन को नासा ने उस टीम में शामिल किया था जिसने स्कॉट और मार्क केली पर लंबी यात्रा के असर का अध्ययन करने के लिए बनाई थी. दोनों एक साल तक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में समय बिताया था.
अपनी किताब " द नेक्ट 550 ईयर्स: इंजीनियरिंग लाइफ टू रीच न्यू वर्ल्डस" में मेसन (Christopher E Mason) ने इस बारे में विस्तार से बात की है. इसमें उन्होंने एक सवाल बहुत जोर देकर उठाया है कि मंगल (Mars) और चंद्रमा (Moon) तक लोगों को पहुंचा दिया जाएगा, लेकिन उन्हें जीवित कैसे रखा जाएगा. उन्होंने मानव जीवविज्ञान की सीमितता पर ध्यान दिलाया है , उनका साफ कहना है क मंगल पर आने जाने ममें ही इंसान की सीमा की परीक्षा हो जाएगी.
मेसन का कहना है कि हर अंतरिक्ष यात्री (Astronaut) एक तरह की जैवआणविक बर्फ का टुकड़ा है, जहां उसे अंतरिक्ष यात्रा में बहुत ही अलग अनुभव होना है. इनमें गुरुत्व (Gravity) और विकिरण (Radiation) सबसे प्रमुख हैं. और ये दोनों ही शरीर की हड्डियों, मांसपेशियों और जीन्स तक को प्रभावित करेंगे. इसके अलावा अपनों से दूर रहने से जो मनोवैज्ञानिक समस्याएं आएंगी उस पर भी नजर रखनी होंगी. कैली स्कॉट ने लिखा है कि उन्हें पृथ्वी पर वापस आने के बाद 8 महीने तक समान्य महसूस नहीं हुआ था. मेसन का कहना है कि इस मामले में हमारे पर ज्यादा आंकड़े नहीं हैं कि लंबे अभियानों पर क्या क्या असर होंगे. लेकिन फिर भी स्कॉट कैली के मामले पाया यह गया है कि डीएनए में सुधार के ले सक्रिय हुई सभी जीन्स सामान्य स्थिति में आ गई थीं.
मेसन ने किताब में कई जेनेटिक इंजीनियरिंग (Genetic Engineering) तकनीकों का जिक्र किया है. जैसे अस्थायी रूप से विकिरण (Radiation) से बचने के लिए जीन्स (Genes) के बंद करना या चालू करना. इस तरह की तकनीकों के बारे में मेसन का कहना है कि हम इनमें से तकनीकी रूप से कर तो सकते हैं, लेकिन इनके उपयोग में भी शायद 10-20 साल और लगेंगे. इन तकनीकों के लिए बहुत से क्लीनिकल ट्रायल लगेंगे. कैंसर और चिकित्सा के अन्य क्षेत्र में यह पहले ही हो रहा है. हमने बस विकिरण के मामले में प्रयास नहीं किया है.
इस किताब में मेसन ने चीन (China) का काफी जिक्र किया है जिसमें उसके अंतरिक्ष तकनीकी (Space Technology) विकास की तारीफ भी हुई है. चीन पहले से ज्यादा जोखिम ले रहा है. मेसन कहते हैं कि कई मामलों में चीन आगे निकल सकत है. मेसन का मानना है कि अभी जेनेटिक इंजीनियरिंग (Genetic Engineering) तकनीक को कहीं भी व्यापक तौर उपयोग की संभावना नहीं है. फिलहाल ये तकनीकें चिकित्सा के क्षेत्र में परखी जा रही हैं. लेकिन अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए अभी समय है. शायद हम 2040 के बाद यह समय देख सकेंगे.
फिलहाल बहुत सारे लोग अंतरिक्ष में जाते दिखेंगे. अब लोगों की जांचें होंगे कई लोग अयोग्य करार दिए जाएंगे. फिटनेस के पौमाने निकल सकते हैं. योग्य लोगों में से छंट कर कुछ मंगल पर जा सकते हैं शायद अलग दशक में. निजी क्षेत्र के आने से अंतरिक्ष और वहां की यात्रा लोकतांत्रिकरण भी होगा. हो सकता है इसके मानदंडों में कुछ दी जा सकने की संभावना भी पैदा होने लगे और एक दिन सभी का अधिकार बन जाए.
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