विज्ञान

सांस की बदबू कई तरह की बीमारियों का संंकेत, मत कीजिए नज़रअंदाज

Gulabi
16 July 2021 2:20 PM GMT
सांस की बदबू कई तरह की बीमारियों का संंकेत, मत कीजिए नज़रअंदाज
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सांस लेना किसी भी इंसान के जीवित होने का प्रमाण होता है

सांस लेना किसी भी इंसान के जीवित होने का प्रमाण होता है. एक मिनट में एक इंसान करीब 10 बार सांस लेता है. आपके फेफड़े ऑक्‍सीजन को ग्रहण करके कार्बन डाई ऑक्‍साइड को छोड़ते हैं. कार्बन डाई ऑक्‍साइड शरीर में एक बेकार प्रोडक्‍ट कइी तरह है जो उस समय निर्मित होती है जब आप कुछ काम जैसे गाना गाना, चिल्‍लाना या फिर हंसने का काम करते हैं. सांस लेना और सांस छोड़ना एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है. मगर क्‍या आप जानते हैं कि आपकी सांस आपको यह बता सकती है कि आप किस बीमारी के शिकार हैं. सुनने में ये अजीब सा लग सकता है मगर यही सच है.

क्‍या होता है सांस छोड़ने पर
कई रिसर्चर्स के मुताबिक जब आप सांस छोड़ते हैं तो एक बार में कई तरह की गैस बाहर आती हैं. अमेरिका स्थित कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स के मुताबिक इन्‍हें वोलेटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड या फिर वीसीओ के तौर पर जानते हैं. जब आप किसी बीमारी से ग्रसित होते हैं तो ये बीमारियां इन वीसीओ को मिक्‍स कर देती हैं. इसकी वजह से किसी व्‍यक्ति की सांस से बदबू आने लगती हैं.
इसी गंध के आधार पर इस बात का पता लगाया जा सकता है कि वो व्‍यक्ति किस बीमारी से ग्रसित है. साइंस डेली के मुताबिक जब व्‍यक्ति सांस छोड़ता है तो करीब 3500 कंपाउंड रिलीज करता है. आपकी सांस जिन बीमारियों का संकेत दे सकती है, वो कुछ इस तरह से हैं.
फलों की बदबू यानी डायबिटीज
अगर आपकी सांस में फलों की खुशबू या नेल पेंट हटाने वाले रिमूवर की बदबू है तो हो सकता है कि आप डायबिटीज के शिकार हों. इसे कीटोएसिडोसिस कहा जाता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक जब शरीर को जरूरी इंसुलिन नहीं मिल पाता है तो वो जरूरी एनर्जी के लिए फैटी एसिड का प्रयोग करने लगता है. इससे एसिडिक कीटोन्‍स पैदा होते हैं. इसकी वजह से ही यह बदबू आने लगती है.
अंडे की बदबू यानी पाचन से जुड़ा रोग
आंतों में पाए जाने वाले माइक्रोबायोटा सल्‍फर को तोड़ते हैं. इस प्रक्रिया से अंडे जैसी गैस निकलती है. जब पेट का एसिडपाचन से जुड़े बाकी के काम के लिए ऊपर की तरफ आता है तो यह होता है.
मछली जैसी बदबू यानी किडनी की बीमारी
किडनी का फेल हो जाना, इस दौरान किडनी, खून में टॉक्सिक केमिकल और बेकार पदार्थों को फिल्‍टर नहीं कर पाती है. इसकी वजह से टॉक्सिन लगभग शरीर के सभी अंगों को प्रभावित कर देते हैं. जब सांस लेने वाले अंग भी प्रभावित होने लगते हैं तो ऐसी बदबू आने लगती है.
फंगस की बदबू यानी साइनस
कभी-कभी माइक्रोबियल का बनना, उनमें इजाफा होना या फिर साइनस में इनफेक्‍शन की वजह से भी ऐसी बदबू आती है. इनफेक्‍शन की वजह से अक्‍सर नाक या फिर साइनस से गले के पीछे तक कफ जम जाता है. इस वजह से ही बदबू आने लगती है.
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