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इन देशों को हो सकता है नुकसान और फायदा
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) ने पिछले 22 सालों में दुनिया को कई बेहतरीन नतीजे दिए हैं. लेकिन आजकल यह अपनी खोजों की वजह से नहीं बल्कि हादसों की वजह से चर्चा में है. 1998 में अमेरिका (USA) और रूस की अगुआई में बने इस स्टेशन के बारे में यह भी कहा जा रहा है कि यह जल्दी ही बेकार हो सकता है. ऐसा उस समय हुआ है जब चीन (China) अपना खुद का इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन अंतरिक्ष में तैयार कर रहा है. माना जा रहा है कि इससे अमेरिका को नुकसान और चीन को फायदा हो सकता है.
क्या हुआ था ISS में
गुरुवार को ही इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के रूसी हिस्से में धुएं का अलार्म बज गया था जब जमीन पर कंट्रोल रूम में इंजिनियर इस समस्या को समझने का प्रयास कर रहे थे. इससे एक बड़ा हादसा होने से बच गया. स्टेशन 17 हजार मील प्रतिघंटे की रफ्तार से पृथ्वी का चक्कर लगा रहा है. जिसमें हमेशा ही कम से कम चार अंतरिक्ष यात्री उच्च दबाव वाले चैम्बर्स में मौजूद होते हैं.
कई महीनों से हो रही हैं दुर्घटनाएं
पिछले कई महीनों से स्पेस स्टेशन उन घटनाओं से सुर्खियों में रहा है जिससे उसके काम करते रहने की संभावना पर सवालिया निशान लगने लगे हैं. अमेरिका ने इसके साल 2030 तक काम करते रहने की संभावना जताई है, इस लिहाज से यह अपने जीवन के अंतिम चरण में भी नहीं पहुंचा है. ताजा घटना में वेधशाला के रूसी ज्वेज्दा मॉड्यूल की तरफ के धुंआ निकलने अलार्म बजने लगा था जहां बैटरी रीचार्ज होती हैं.
एयर लीकेज जल्दी कर लिया गया ठीक
रोसमोसकोस का कहना है क्रू ने एयर फिल्टर्स सक्रिय कर दिए थे और हवा की गुणवत्ता के समान्य होने पर ही वे रात को आराम करने वापस गए थे. फिलहाल स्टेशन में अमेरिका के नासा के मार्क वैंडे हेई, शेन किमबोर्ग और मेगन मैकआर्थर, रूस के ओलेग नोवित्सकी और प्योत्र दुबरोव, जापान के अकिहिको होशिदे, और यूरोपीय स्पेस ऐजेंसी के अंतरिक्ष यात्री थॉमस पेसक्वेट मौजूद हैं.
और पिछले महीने यहा हादसा
इससे पहले आईएसएस में अगस्त के महीने में भी एक बड़ा हादसा हुआ था जब नौका मॉड्यूल के थ्रस्टर्स में आग लग गई थी. रूसी और अमेरिकी स्पेस एजेंसियों ने स्टेशन के घुमाव को 45 डिग्री पर कायम रखा था, लेकिन इससे स्टेशन को बहुत नुकसान हुआ था. न्यूयार्क टाइम्स के अनुसार स्टेशन 540 डिग्री तक घूम गया था.
सही रिपोर्टिंग नहीं
नासा के होस्टन के मिशन कंट्रोल के फ्लाइट डायरेक्टर जेबुलोन स्कोविले ने बताया कि इस घटना की सही रिपोर्टिंग नहीं हुई थी. 540 डिग्री के घुमाव के बाद स्टेशन ने मूल स्थिति में आने के लिए आगे और 180 डिग्री की पलटी मारी थी. इस घटना से अंतरिक्ष यात्रियों को कोई त्वरित नुकसान नहीं हुआ था. घुमाव से संरचना और उपकरणों पर 9 लाख पाउंड का दबाव पड़ गया था.
आईएसएस में दरार
रॉकेट एंड स्पेस कोर्पोरेशन एनर्जिया के चीफ इंजीनियर व्लादिमीर सोलोव्योव ने बताया कि स्पेस स्टेशन में कई जगह दरार देखी गई हैं, स्टेशन की संरचना में कई दरारें हैं. रोसकोसमोस ने भी पिछले महीने ज्वेज्दा सर्विस मॉड्यूल में हवा लीक होने की वजह से दबाव में कमी आ गई थी. रूस का कहना है कि वह 2024 तक आईएसएस का हिस्सा बना रहेगा और यह तारीख आगे भी बढ़ सकती है.
चीन को फायदा
जहां इन घटनाओं सेअमेरिका को नुकसान हो सकता है, वहीं महत्वाकांक्षी चीन को फायदा हो सकता है. चीन का खुद इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन अंतरिक्ष में तैयार हो रहा है. उसके चीन अंतरिक्ष यात्री उसे तैयार कर रहे हैं. चीनी आईएसएस वर्तमान इंटरनेशन स्पेस स्टेशन की जगह ले सकता है. इससे अमेरिका का अंतरिक्ष अनुसंधान में वर्चस्व खत्म हो जाएगा. वहीं चीन यूरोप सहित दुनिया के कई देशों को अपने स्पेस स्टेशन के साथ जोड़ रहा है.
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