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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ माह की अमावस्या को शनिदेवजी का जन्म हुआ था।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ माह की अमावस्या को शनिदेवजी का जन्म हुआ था। अंग्रेजी माह के अनुसार इस बार शनि जयंती 10 जून 2021 गुरुवार को मनाई जाएगी। यह दान-पुण्य, श्राद्ध-तर्पण पिंडदान की अमावस्या भी है। इसी दिन सावित्री व्रत भी रखा जाएगा। आओ जानते हैं कि शनिदेव को किन 10 तरीके से प्रसन्न किया जा सकता है।
1. कर्म को सुधारें : सबसे जरूरी बात है कर्म को सुधारना। मतलब यह कि आप जुआ-सट्टा खेलना, शराब पीना, ब्याज का धंधा करना, किसी महिला के प्रति बुरी नजर रखना, निर्दोष पशु या पक्षी को सताना, धर्म का मजाक उड़ाना, छुआछूत या ऊंच नीच की भावना रखना, परिवार और रिश्तों का सम्मान नहीं करना, गाली बकते रहना आदि कार्य करना छोड़ दें।
2. छाया दान करें : शनिवार को एक कटोरी में सरसों का तेल लेकर उसमें अपना चेहरा देंखे और फिर शाम को उसे शनि मंदिर में कटोरी सहित दान कर दें।
3. मंदिर में दान करें ये वस्तुएं : तिल, उड़द, भैंस, लोहा, तेल, काला वस्त्र, सिक्का, शहद, छाता, काली गौ, जूता आदि दान देना चाहिए।
4. भैरव उपासना : भैरव बाबा को कच्चा दूध या शराब चढ़ावें।
5. सुगंध का प्रयोग : काली गाय का घी और कस्तुरी इत्र का उपयोग कर सकते हैं। इसके अलावा घर में प्रतिदिन कर्पूर जलाएं या गुड़-घी को मिलाकर कंडे पर जलाएं। घर के शौचालय को साफ-सुधरा रखें।
6. शमी पूजा : शमी के वृक्ष में साक्षात शनिदेव का वास होता है। शमी का पेड़ लगाएं या इस पेड़ में नित्य जल अर्पित करें।
7. हनुमान चालीसा : हनुमान भक्तों पर शनिदेव की विशेष कृपा रहती है। प्रतिदिन हनुमान चालीसा पढ़ें।
8. शरीर रखें साफ सुथरा : दांत, आंत और आंखों को अच्छे से साफ रखें।
9. मकान का वास्तु : पूर्व या दक्षिण दिशा में मकान का प्रवेश द्वार न रखें। कोई वास्तु दोष हो तो सुधारें।
10. श्राद्ध करें : अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा रखते हुए उनके प्रति अच्छे से श्राद्ध, तर्पण आदि कार्य करें।
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