धर्म-अध्यात्म

गुरुवार के दिन इस विधि से करें भगवान विष्णु की पूजा,हर संकट होंगे दूर

Apurva Srivastav
9 May 2024 1:43 AM GMT
गुरुवार के दिन इस विधि से करें भगवान विष्णु की पूजा,हर संकट होंगे दूर
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नई दिल्ली : जगत के पालनहार भगवान विष्णु की लीला बेहद अपरंपार है। सनातन धर्म में सप्ताह के सभी दिन किसी न किसी भगवान को समर्पित है। गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के विधान है। साथ ही जीवन के संकटों को दूर करने के लिए व्रत भी किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि गुरुवार के दिन श्री हरि की विधिपूर्वक पूजा करने से प्रभु की कृपा से साधक को जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है। चलिए जानते हैं कि भगवान विष्णु की पूजा तरह करना फलदायी होगा।
भगवान विष्णु की पूजा विधि (Lord Vishnu Puja Vidhi)
गुरुवार के दिन सुबह उठें और स्नान कर पीले वस्त्र धारण करें। क्योंकि भगवान विष्णु को पीला रंग प्रिय है।
सूर्य देव को जल अर्पित करें।
मंदिर की सफाई कर चौकी पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की प्रतिमा विरजामन करें।
भगवान विष्णु को फूल अर्पित करें और चंदन लगाएं।
मां लक्ष्मी को श्रृंगार की चीजें अर्पित करें।
अब देशी घी का दीपक जलाकर आरती करें।
प्रभु के मंत्रों का जाप और विष्णु चालीसा का पाठ करें।
अंत में खीर, मिठाई और फल का भोग लगाएं। भोग में तुलसी दल को अवश्य शामिल करें।
गुरुवार के दिन श्रद्धा अनुसार लोगों में भोजन और कपड़े का दान करें।
भगवान विष्णु की आरती (Lord Vishnu Aarti)
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।
भगवान विष्णु की आरती
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे।
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे।
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा।
स्वमी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, सन्तन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे।
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
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