- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- धर्म-अध्यात्म
- /
- इस विधि से करें भगवान...
धर्म-अध्यात्म
इस विधि से करें भगवान शनि की पूजा, शनिदेव होंगे प्रसन्न
Apurva Srivastav
11 May 2024 7:51 AM GMT
![इस विधि से करें भगवान शनि की पूजा, शनिदेव होंगे प्रसन्न इस विधि से करें भगवान शनि की पूजा, शनिदेव होंगे प्रसन्न](https://jantaserishta.com/h-upload/2024/05/11/3719649-untitled-21-copy.webp)
x
नई दिल्ली : भगवान शनि की पूजा बेहद शुभ मानी गई है। उन्हें न्याय और कर्म का स्वामी ग्रह भी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि वे लोगों को उनके कर्मों के अनुसार ही फल प्रदान करते हैं। शनिवार के दिन भगवान शनि की पूजा होती है। इस पवित्र दिन जो भक्त भगवान शनि की पूजा करते हैं और उनके लिए उपवास रखते हैं उन्हें कर्मफल दाता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इसके साथ ही कुंडली से शनि दोष का बुरा प्रभाव भी कम होता है। इसके अलावा शनिवार की शाम 'शनि कवच' का पाठ (Shani Kavach) भी बहुत अच्छा माना गया है, जो इस प्रकार है -
शनिदेव पूजन विधि
जातक सबसे पहले पवित्र स्नान करें।
इसके बाद शनि मंदिर जाएं।
शनि देव के समक्ष सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
इसके बाद पीपल के पेड़ के सामने दीया जलाएं।
7 बार पीपल के वृक्ष की परिक्रमा करें।
फिर शनि कवच का पाठ करें।
अंत में आरती से पूजा समाप्त करें।
''शनि कवच''
अस्य श्री शनैश्चरकवचस्तोत्रमंत्रस्य कश्यप ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, शनैश्चरो देवता, शीं शक्तिः,
शूं कीलकम्, शनैश्चरप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः
नीलाम्बरो नीलवपु: किरीटी गृध्रस्थितत्रासकरो धनुष्मान्।
चतुर्भुज: सूर्यसुत: प्रसन्न: सदा मम स्याद्वरद: प्रशान्त:।।
श्रृणुध्वमृषय: सर्वे शनिपीडाहरं महंत्।
कवचं शनिराजस्य सौरेरिदमनुत्तमम्।।
कवचं देवतावासं वज्रपंजरसंज्ञकम्।
शनैश्चरप्रीतिकरं सर्वसौभाग्यदायकम्।।
ऊँ श्रीशनैश्चर: पातु भालं मे सूर्यनंदन:।
नेत्रे छायात्मज: पातु कर्णो यमानुज:।।
नासां वैवस्वत: पातु मुखं मे भास्कर: सदा।
स्निग्धकण्ठश्च मे कण्ठ भुजौ पातु महाभुज:।।
स्कन्धौ पातु शनिश्चैव करौ पातु शुभप्रद:।
वक्ष: पातु यमभ्राता कुक्षिं पात्वसितस्थता।।
नाभिं गृहपति: पातु मन्द: पातु कटिं तथा।
ऊरू ममाSन्तक: पातु यमो जानुयुगं तथा।।
पदौ मन्दगति: पातु सर्वांग पातु पिप्पल:।
अंगोपांगानि सर्वाणि रक्षेन् मे सूर्यनन्दन:।।
इत्येतत् कवचं दिव्यं पठेत् सूर्यसुतस्य य:।
न तस्य जायते पीडा प्रीतो भवन्ति सूर्यज:।।
व्ययजन्मद्वितीयस्थो मृत्युस्थानगतोSपि वा।
कलत्रस्थो गतोवाSपि सुप्रीतस्तु सदा शनि:।।
अष्टमस्थे सूर्यसुते व्यये जन्मद्वितीयगे।
कवचं पठते नित्यं न पीडा जायते क्वचित्।।
इत्येतत् कवचं दिव्यं सौरेर्यन्निर्मितं पुरा।
जन्मलग्नस्थितान्दोषान् सर्वान्नाशयते प्रभु:।।
Tagsभगवान शनिपूजाशनिदेवप्रसन्नLord ShaniworshipShanidevhappyजनता से रिश्ता न्यूज़जनता से रिश्ताआज की ताजा न्यूज़हिंन्दी न्यूज़भारत न्यूज़खबरों का सिलसिलाआज की ब्रेंकिग न्यूज़आज की बड़ी खबरमिड डे अख़बारJanta Se Rishta NewsJanta Se RishtaToday's Latest NewsHindi NewsIndia NewsKhabron Ka SilsilaToday's Breaking NewsToday's Big NewsMid Day Newspaperजनताjantasamachar newssamacharहिंन्दी समाचार
![Apurva Srivastav Apurva Srivastav](/images/authorplaceholder.jpg?type=1&v=2)
Apurva Srivastav
Next Story