धर्म-अध्यात्म

द्वारकाधीश मंदिर में बिजली गिरने से नुकसान क्यों नहीं हुआ, क्या इसके पीछे कोई साइंस है? जानें

Rani Sahu
14 July 2021 5:23 PM GMT
द्वारकाधीश मंदिर में बिजली गिरने से नुकसान क्यों नहीं हुआ, क्या इसके पीछे कोई साइंस है? जानें
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गुजरात के द्वारका में प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर के ध्वज दंड पर मंगलवार को आकाशीय बिजली गिरी

गुजरात के द्वारका में प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर के ध्वज दंड पर मंगलवार को आकाशीय बिजली गिरी. इससे 52 गज की ध्वजा को तो नुकसान पहुंचा, लेकिन मंदिर को कोई ​नुकसान नहीं पहुंचा. संयोगवश रिहायशी इलाके में बिजली नहीं गिरी और न ही कोई व्यक्ति हताहत हुआ. हालांकि आकाशीय बिजली के कारण मंदिर की दीवारें काली पड़ गईं.

संयोग से यह घटना कैमरे में कैद हो गई और सोशल मीडिया में यह वीडियो वायरल हो गया. घटना के प्रत्यक्षदर्शी और स्थानीय लोग इसे भगवान द्वारकाधीश का चमत्कार मान रहे हैं. करीब 2200 साल पुराने इस मंदिर के प्रति और द्वारकाधीश के प्रति लोगों की खूब आस्था है. लोगों का ईश्वर पर विश्वास ही है, जो इस घटना को दैवीय कृपा माना जा रहा है.
बहरहाल, लोगों की आस्था पर सवाल नहीं है. लेकिन एक्सपर्ट इस घटना विज्ञान की नजर से भी देखने की जरूरत बताते हैं. आकाशीय बिजली गिरने से बिल्डिंग्स ध्वस्त हो जाती हैं. लोगों की जानें चली जाती हैं. लेकिन इस घटना में बड़ा नुकसान नहीं हुआ. आखिर क्या है इसके पीछे का साइंस?
मंदिरों और बिल्डिंग्स में लगी रॉड देखी है आपने?
हम और आप अपने आसपास की बहुत सी चीजों पर गौर नहीं कर पाते है. कई बिल्डिंग्स की छतों पर आपने एक एरियल की तरह एक चीज देखी होगी. मंदिरों के शिखर पर, बड़े-बड़े मोबाइल टावर पर, पानी की टंकियों पर, बड़े बस स्टॉप पर, रेलवे जंक्शन्स पर, हवाई अड्डों पर… अन्य सार्वजनिक स्थानों पर एक चीज आपको कॉमन दिखेगी.
लोहे के रॉडनुमा यह चीज मंदिरों के शिखर पर त्रिशूलनुमा आकार लिए होती है. वहीं ​अन्य बिल्डिंग्स की छतों पर भी यह सबसे शीर्ष पर दिखती है. यह शोभा बढ़ाने या किसी अन्य उद्देश्य से नहीं लगाए जाते, बल्कि यही वो चीज है, जो आकाशीय बिजली से होने वाले नुकसान से बचाती है.
स्कूलों में आपने तड़ित चालक के बारे में सुना होगा?
इस रॉडनुमा चीज को तड़ित चालक (Lightening Arrester) कहते हैं. नाम सुना-सुना लग रहा होगा. स्कूलों में आपने साइंस में इस चीज के बारे में सुना होगा. इसे ट्रांसफॉर्मर के ऊपर भी लगाया जाता है. कारण कि ट्रांसफॉर्मर से हमारे घरेलू कनेक्शन से जुड़ा होता है. इसके ऊपर तड़ित चालक लगा नहीं लगा हो तो आकाशीय बिजली गिरने पर हमारे घरों के तमाम उपकरण बर्बाद हो जाएंगे. किसी भी तरह की अनहोनी हो सकती है.
कई तरह के होते हैं Lightening Arrester
इलेक्ट्रोलाइटिक एरेस्टर
रोड गैप एरेस्टर
स्फेयर गैप एरेस्टर
हॉर्न गैप एरेस्टर
मल्टीपल गैप एरेस्‍टर
एक्सपल्सन टाइप
लाइटनिंग एरेस्‍टर
कितनी खतरनाक होती है आकाशीय बिजली?
आकाशीय बिजली और तड़ित चालक के बारे में विस्तार से जानने के लिए हमने बिहार में फिजिक्स के प्रोफेसर सरयुग प्रसाद गुप्ता से बात की. प्रो गुप्ता ने बताया कि बादलों के टकराने से आकाशीय बिजली गिरती है. यह धरती पर एक साल में 1.60 करोड़ बार गिरती है. इसका टेंपरेचर 30 हजार कैल्विन के बराबर होता है.
इंसान हो, जानवर हो या बड़ी बिल्डिंग्स, जिसके ऊपर गिर जाए… उसे खत्म कर देती है. सोचने तक का मौका तक नहीं देती. इंसानों और जानवरों की मौत हो जाती है. बिल्डिंग्स को भी तबाह कर देती है. इससे बचने के लिए, इसका प्रभाव कम से कम करने के लिए ही तड़ित चालक लगाया जाता है.
इसे किसने बनाया, यह कैसे काम करता है?
तड़ित चालक का आविष्कार महान वैज्ञानिक ब्रेन्जामिन फ्रेंकलिन ने किया. प्रो गुप्ता बताते हैं कि उपयोगिता के हिसाब से Lightening Arrester कई तरह के होते हैं. एक बात जो कॉमन होती है कि यह पूरी तरह से मेटल का होता है. ज्यादातर लोहे के रॉड का प्रयोग किया जाता है. इसकी हाईट कम से कम तीन फिट होनी चाहिए. इस रॉड को कॉपर केबल यानी तांबे वाली तार के माध्यम से जमीन के अंदर इसका कनेक्शन कर दिया जाता है. जिसे हम अर्थिंग बोलते हैं, उसमें जोड़ दिया जाता है.
जैसे ही कोई आकाशीय बिजली गिरती है, तो तड़ित चालक के माध्यम से सारी ऊर्जा सीधे जमीन में चली जाती. अब चूंकि पृथ्वी का पोटेंशियल यानी विभव शून्य होता है, धरती पूरी तरह न्यूट्रल होती है तो आकाशीय बिजली का पावर पूरी तरह खत्म हो जाता है. प्रो गुप्ता बताते हैं कि द्वारकाधीश मंदिर पर आकाशीय बिजली गिरने से ज्यादा नुकसान नहीं होने के पीछे भी यही साइंस रहा होगा. हालांकि लोगों की आस्था और विश्वास एक अलग विषय है.


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