धर्म-अध्यात्म

First Wedding Invitation : शादी का पहला कार्ड भगवान क्यो दिया जाता है इसका महत्व क्या

Kavita2
25 Jun 2024 12:22 PM GMT
First Wedding Invitation : शादी का पहला कार्ड भगवान क्यो दिया जाता है इसका महत्व क्या
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First Wedding Invitation : हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा की जाती है। आषाढ़ माह में 28 जून को कालाष्टमी है। इस दिन विवाह और सुखों के कारक शुक्र देव उदित होंगे। वर्तमान समय में शुक्र तारा अस्त है। ज्योतिषियों की मानें तो गुरु और शुक्र तारा के अस्त रहने पर विवाह समेत सभी प्रकार के मांगलिक कार्य करने की मनाही होती है। 28 जून को शुक्र देव उदित होंगे। इसके बाद अगले चार दिनों तक शिशुत्व रूप में रहेंगे। इसके बाद 03 जुलाई को शुक्र देव यौवनत्व रूप प्राप्त करेंगे। इस दिन से सभी प्रकार के शुभ कार्य किए जाएंगे। इस दिन से विवाह हेतु लग्न मुहूर्त है। वर्तमान समय से लोग विवाह की तैयारियों में जुटे हैं। इसका प्रमाण नीता अंबानी
(Anant and Radhika merchant wedding card)
द्वारा काशी स्थित विश्वनाथ मंदिर में भगवान शिव को अपने पुत्र के विवाह का निमत्रंण देने से मिलता है। लेकिन क्या आपको पता है कि शादी का पहला कार्ड किसे दिया जाता है? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
ज्योतिषियों की मानें तो शादी का पहला कार्ड (First Wedding Invitation ritual) रिद्धि और सिद्धि के कारक भगवान गणेश को दिया जाता है। इस समय निम्न मंत्र का उच्चारण कर शादी का कार्ड देकर विवाह में आने का निमंत्रण दिया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि निमंत्रण पाकर भगवान गणेश विवाह में अदृश्य रूप में अवश्य उपस्थित होते हैं। उनकी कृपा से विवाह में कोई बाधा नहीं आती है। साथ ही विवाह कार्यक्रम सफल रूप से संपन्न होता है।
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
भगवान शिव एवं विष्णु
ज्योतिष शास्त्र में शादी का पहला कार्ड जगत के पालनहार भगवान विष्णु एवं देवों के देव महादेव Mahadev- The Lord of all Gods को देने का विधान है। अत: शादी का पहला कार्ड भगवान विष्णु या भगवान विष्णु को भी दिया जाता है। यह जातक की सुविधा पर निर्भर रहता है। अगर निकट में गणेश मंदिर है, तो सर्वप्रथम भगवान गणेश को शादी का पहला कार्ड दिया जाता है। सुविधा न होने पर भगवान विष्णु या निकटतम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठित देवी या देवता को दिया जाता है। भगवान विष्णु को शादी का कार्ड देते समय निम्न मंत्र का उच्चारण किया जाता है।
मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥
कौन निमंत्रण देते हैं
इस बारे में ज्योतिषियों का कहना है कि वर या वधू द्वारा निमंत्रण देना श्रेष्ठकर होता है। वर या वधू की अनुपस्थिति में वर या वधू के माता-पिता भगवान God the Parent को निमंत्रण दे सकते हैं। इस समय विधि-विधान से देवी-देवता की पूजा worship of gods and goddesses करें। इसके बाद विवाह सफलपूर्वक संपन्न होने की कामना कर शादी का कार्ड भगवान को देना चाहिए। हालांकि, शादी का कार्ड देवी-देवताओं को अर्पित करते समय स्थानीय रीति-रिवाजों का पालन जरूर करें। कई जगहों पर कुल की देवी या देवता को सबले पहले शादी का आमंत्रण दिया जाता है। इसके बाद अन्य देवी-देवताओं को आमंत्रित किया जाता है। वहीं, देवी-देवताओं को निमंत्रण देने के बाद पितरों को भी विवाह में जरूर आमंत्रित करें। पितरों की अनदेखी बिल्कुल न करें। ऐसा करने से विवाह में किसी न किसी प्रकार से बाधा जरूर आती है।
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