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हिंदू धर्म में हर पर्व-त्योहार हिंदू कैलेंडर के अनुसार ही होता है. जिसमें 15-15 दिन के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष आता है और इसी में तिथियों के अनुसार पूजा-पाठ या पर्व रहता है. साल में 24 चतुर्थी पड़ती है जिसमें हर महीने दो चतुर्थी होती है और ज्येष्ठ माह की पहली चतुर्थी 8 मई के दिन पड़ रही है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा होती है और ज्येष्ठ माह की पहली चतुर्थी को एकदंत संकष्टी चतुर्थी कहते हैं. इस पूजा को सही मुहूर्त पर करने से भगवान गणेश की विशेष कृपा प्राप्त होती है. चलिए आपको इससे जुड़ी सभी बातें डिटेल्स में बताते हैं.
कब है एकदंत संकष्टी चतुर्थी? (Ekdant Sankashti Chaturthi 2023 Date)
भगवान गणेश की पूजा का शुभ फल पाने के लिए आपको एकदंत संकष्टी चतुर्थी की पूजा इस साल 8 मई 2023 दिन सोमवार को करनी है. हिंदू पंचांग के अनुसार, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 8 मई की शाम 6 बजकर 18 मिनट से शुरू होकर 9 मई 2023 की शाम 4 बजकर 8 मिनट तक रहेगी. एकदंत संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रमा दर्शन रात को 10 बजकर 4 मिनट पर किया जाएगा. शुभ मुहूर्त 8 मई की रात 7 बजे से 10 बजे तक है.
एकदंत संकष्टी चतुर्थी की पूजा (Ekdant Sankashti Chaturthi Puja Vidhi)
एकदंत संकष्टी चतुर्थी के दिन अपना मन पवित्र रखें और भगवान गणेश की पूजा के लिए सुबह ही स्नान करके संकल्प लें. पूजा शुरू करने से पहले पूजा स्थल की साफ-सफाई जररू करें. हाथ में जल लेकर भगवान गणेश के सामने अपने व्रत का संकल्प लें और उसके बाद गणेश जी की मूर्ति पर तिलक लगाएं. तिलक लगाने के बाद फूल, धूब, दीपक, फल और मिठाई अर्पित करें. इसके बाद संकष्टी चतुर्थी की कथा पढ़ें. इसके बाद गणेश चालिसा पढ़ें और फिर आरती करें. अब चंद्र दर्शन करें और दूध-पानी का अर्घ्य दें. इसके बाद आपकी पूजा समाप्त होगी और अगले दिन पारण करें.
एकदंत संकष्टी चतुर्थी का महत्व (Ekdant Sankashti Chaturthi Importance)
एकदंत संकष्टी चतुर्थी का शास्त्रों में धार्मिक महत्व भी बताया गया है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा सच्चे मन से करने से आपकी सभी परेशानियों का विघ्न हो जाता है. गणेश जी आपकी मनोकमनाएं पूरी करते हैं इसलिए इस दिन व्रत रखते हुए विधिवत पूजा जरूर करें. एकदंत संकष्टी चतुर्थी का व्रत सुख-सौभाग्य देने वाला फलदायी व्रत है. साथ ही अगर आपको संतान की चाहत है तो भगवान गणेश के इस व्रत में अपनी इस अर्जी को भगवान गणेश जी के चरणों में लिखकर रख दें.
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Apurva Srivastav
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