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![क्या है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि क्या है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि](https://jantaserishta.com/h-upload/2023/03/22/2682395-1.webp)
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चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2023) का त्योहार मनाया जाता है. इस बार चैत्र नवरात्रि का त्योहार 22 मार्च, बुधवार से प्रारंभ हो चुका है. आपको बता दें कि नवरात्रि के दूसरे दिन मां के द्वितीय स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना की जाती है. मां ब्रह्मचारिणी दुष्टों को सन्मार्ग दिखाने वाली हैं. मान्यतानुसार, मां ब्रह्मचारिणी का पूजन करने से आलस्य, अहंकार, लोभ, असत्य, स्वार्थ व ईर्ष्या जैसी दुष्प्रवृत्तियों से मुक्ति मिलती है. इस दिन विधि विधान से मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से बुद्धि, विवेक व धैर्य में वृद्धि होती है.
मां ब्रह्मचारिणी को क्या चढ़ाना चाहिए?
मां ब्रह्मचारिणी को गुड़हल और कमल का फूल अत्यंत प्रिय माना गया है और पूजा के दौरान मां को ये फूल अर्पित करने से मां प्रसन्न होती हैं. मान्यता है कि मां को चीनी और मिश्री काफी पसंद है, इसलिए मां को भोग में चीनी और मिश्री और पंचामृत का भोग लगाना शुभ माना गया है. इसके अलावा मां ब्रह्मचारिणी को दूध से बने व्यंजन अत्यधिक पसंद हैं, तो आप भोग में दूध से बने व्यंजन भी शामिल कर सकते हैं. आप इन चीजों का भोग लगाने के अलावा दान देकर भी मां को प्रसन्न कर सकते हैं.
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि
1- नवरात्रि के दूसरे दिन मां को प्रसन्न करने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करना चाहिए.
2- घर के मंदीर में दीप प्रज्जवलित करना चाहिए
3- मां दुर्गा का गंगा जल से अभिषेक करें.
4- अब मां दुर्गा को अर्घ्य देना चाहिए
5- मां ब्रह्मचारिणी को अक्षत, सिंदूर और लाल पुष्म अर्पित करने चाहिए और प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं.
6- धूप और दीपक प्रज्जवलित करने के बाद दुर्गा चालीसा का पाठ करना शुभ होता है. इसके बाद आरती भी करनी चीहिए
7- मां को इस दिन सात्विक और मनपसंद चीजों का ही भोग लगाना चाहिए. ऐसा करने से माता प्रसन्न होती है और आपको आशीर्वाद प्रदान करती हैं.
माँ ब्रह्मचारिणी का मंत्र (Maa Brahmacharini Mantra)
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:..
दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू.
देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा.. ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥
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Apurva Srivastav
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