धर्म-अध्यात्म

क्या है विनायक चतुर्थी के व्रत की कथा

Apurva Srivastav
22 Feb 2023 3:49 PM GMT
क्या है विनायक चतुर्थी के व्रत की कथा
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हिंदू धर्म में गणेश भगवान सर्वप्रथम पूजनीय देवता माने जाते हैं. हर महीने की चतुर्थी के दिन विनायक चतुर्थी मनाई जाती है और इस महीने की गणेश चतुर्थी 23 फरवरी को मनाई जाएगी. फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन विनायक चतुर्थी का व्रत रखते हैं. ऐसी मान्यता है कि विनायक चतुर्थी का व्रत करने से भगवान गणेश की विशेष कृपा होती है जिससे घर में सुख-समृद्धि आती है. मगर ये पूजा विनायक चतुर्थी की व्रत कथा के बिना अधूरी होती है. इसलिए चलिए आपको यहां आसान भाषा में विनायक चतुर्थी व्रत कथा के बारे में बताते हैं.

विनायक चतुर्थी व्रत कथा पढ़ें (Vinayak Chaturthi Vrat Katha in Hindi)
विनायक चतुर्थी की कथा के अलग-अलग पहलू पौराणिक ग्रंथों में मिलते हैं. लेकिन जो कथा सबसे ज्यादा प्रचलित है उसके बारे में हम आपको बताते हैं. पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय जब भगवान शंकर और माता पार्वती नर्मदा नदी के किनारे विराजमान थे तो पार्वती जी ने महादेव से चौपड़ खेलने के लिए कहा. शिवजी तैयार हो गए लेकिन इस खेल में हार-जीत का फैसला करने के लिए कोई नहीं था. शिवजी ने आस-पास देखा तो कुछ घास के तिनके बिखरे हुए थे. उन्होंने तिनकों को उठाया और उसका एक पुतला बनाकर उसकी प्राण प्रतिष्ठा कर दी. शिवजी ने पुतले से कहा कि बेटा हम चौपड़ खेल रहे हैं लेकिन हमारी हार-जीत का फैसला करने वाला कोई नहीं है इसलिए तुम बताओगे कि हम दोनों में कौन जीता और कौन हारा.
इसके बाद शिवजी और पार्वती जी चौपड़ खेलने लगे. दोनों ने ये 3 तीन बार खेला और संयोग से पार्वती जी की जीत हुई. खेल समाप्त हुआ तो बालक से हार-जीत का फैसला करने को कहा गया. बालक ने कहा कि चौपड़ के खेल में भगवान शिवजी जीते हैं. बालक की ये बात सुनकर माता पार्वती क्रोधित हो गईीं और उन्होंने बालक को अपाहिज होने का श्राप दे दिया. बालक को ये सुनकर दुख हुआ और उसने माता से क्षमा मांगी और कहा कि ये उससे अज्ञानतावश हुआ है. माता ने कहा कि वो श्राप वापस नहीं ले सकती लेकिन पश्ताचाप से ये ठीक हो सकता है. माता ने कहा कि तुम ऐसा करना यहां गणेश पूजन के लिए नागकन्याएं आने वाली हैं तो उनके कहने के अनुसार तुम गणेश व्रत करो. ऐसा करने से तुम मुझे प्राप्त कर लोगे और ऐसा कहकर माता पार्वती के साथ कैलाश पर्वत चली गईं.
वहां नागकन्याएं आईं तो बालक ने उनसे श्री गणेश व्रत की विधि पूछी. उसके बाद बालक ने 21 दिनों तक गणेशजी का व्रत किया और बालक की श्रद्धा से भगवान गणेश प्रसन्न हो गए. उन्होंने बालक से मनवांछित फल मांगने को कहा. तो बालक ने कहा कि हे विनायक, मुझमें इतनी शक्ति दीजिए कि मैं अपने पैरों से चलकर अपने माता-पिता के साथ कैलाश पर्वत जा सकूं. भगवान गणेश ने बालक को वरदान दिया और अंतर्ध्यान हो गए. इसके बाद बालक कैलाशष पहुंच गया और कैलाश पहुंचने की कथा शिवजी को सुनाई. चौपड़ वाले दिन माता-पार्वती शिवजी से भी विमुख हो गई थीं. देवी के रुष्ट होने पर शिवजी ने भी बालत के बताए 21 दिनों का श्रीगणेश व्रत किया और इस व्रत के प्रभाव से माता पार्वती के मन से भगवान शिव के लिए नाराजगी दूर हो गई. तब से ऐसी मान्यता है कि भगवामन गणेश की अराधना करने वाले के सारे दुख दूर होते हैं.
क्या है विनायक चतुर्थी के व्रत का महत्व?
हिंदू धर्म के अनुसार, गणेश जी सर्वप्रथम पूजनीय देवता हैं. उनकी पूजा के बिना कोई कार्यक्रम संपन्न नहीं होते. गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए चतुर्थी तिथि पर उनकी पूजा करना शुभ माना जाता है. विनायक चतुर्थी का व्रत रखने और भगवान गणेश की इस दिन अराधना करने से उनका आशीर्वाद मिलता है और सारे दुख दूर होते हैं. व्रत कथा को पढ़ने वाले की इच्छाएं पूरी होती हैं और उसके जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है.
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