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वैशाख माह की एकादशी के बहुत मायने हिंदू धर्म में बताए गए हैं. वरुथिनी एकादशी वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को ही पड़ती है. वरुथिनी एकादशी इस साल 16 अप्रैल दिन रविवार को पड़ रही है. धार्मिक मान्यता है कि राजा मान्धाता जो राक्षस कुल में जन्म लिया था उसने वरुथिनी एकादशी की और अंत में मोक्ष को प्राप्त हो गया था. इस व्रत को करने वाले कष्ट भी दूर होते हैं ऐसा माना जाता है. व्रत का पारण सही समय पर करना बहुत जरूरी होता है जिसकी डिटेल्स चलिए आपको देते हैं.
कब किया जाएगा वरुथिनी एकादशी का पारण? (Varuthini Ekadashi 2023 Paran Timing)
15 अप्रैल की शाम 8.45 से वरुथिनी एकादशी का मुहूर्त शुरू होगा लेकिन व्रत 16 अप्रैल को रखा जाएगा. उदया तिथि होने के कारण 16 अप्रैल को व्रत रखें और शाम 6.14 बजे से पहले पूजा करें. पारण 17 अप्रैल की सुबह 5.54 पर ही करें. पारण करने सही समय 7 अप्रैल की सुबह 5.54 बजे से लेकर 8 बजे तक रहेगा. इस दौरान आप सबसे पहले तुलसी का पत्ता खाकर पानी पिएं और उसके बाद सात्विक भोजन ही करें. हो सके तो ताम्सिक भोजन का सेवन उस दिन ना करें. भगवान विष्णु की पूजा एकादशी के दिन करने से वो उनकी कृपा के पात्र बनता है और अंत में मोक्ष को प्राप्त करके बैकुंठ धाम पहुंच जाता है.
एकदाशी में करें तुलसी का सेवन (Tulsi Puja on Ekadashi)
हिंदू धर्म में एकादशी के बहुत मायने बताए गए हैं. जो लोग वरुथिनी एकादशी का व्रत रखते हैं वो एकादशी के प्रभाव से भगवान विष्णु के चरणों में वैकुंठ धाम जाते हैं. इस बार एकादशी के दिन तीन योग बने हैं जिसके कारण ये एकादशी बहुत महत्वपूर्ण बताई जा रही है. इन योगों में भगवान विष्णु की पूजा सच्चे मन से की जाएगी तो सफलता, प्रतिष्ठा और सुख-समृद्धि सबकुछ आपको मिलेगा. चलिए बताते हैं कि विष्णु पूजा के अलावा तुलसी के कौन कौन से उपाय करने चाहिए. इसके साथ ही 16 अप्रैल को भगवान विष्णु की पूजा धूप-दीप, भोग, चंदन, रोली इत्यादि से करें.
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Apurva Srivastav
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