धर्म-अध्यात्म

Vaishakh Month 2025: वैशाख मास शुरू, जानें इस माह का महत्व और नियम

Renuka Sahu
15 April 2025 3:20 AM GMT
Vaishakh Month 2025: वैशाख मास शुरू, जानें इस माह का महत्व और नियम
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Vaishakh Month 2025: यह मास चैत्र के बाद आता है और पुराणों में इसे पुण्य, तप, दान और सेवा का महीना कहा गया है। स्कंद पुराण, पद्म पुराण, नारद पुराण सहित अनेक ग्रंथों में इसकी महिमा का विस्तृत वर्णन मिलता है। इसे 'मासोत्तम' अर्थात मासों में श्रेष्ठ कहा गया है। इसका एक नाम माधव मास भी है और इस महीने में श्रीकृष्ण की पूजा शुभ मानी जाती है। कहा भी जाता है - मासानां वैशाखः श्रेष्ठ:– अर्थात सभी महीनों में वैशाख का मास श्रेष्ठ होता है।
वैशाख मास का धार्मिक महत्व
पद्म पुराण में वर्णित है कि स्वयं ब्रह्मा जी ने देवताओं से कहा था- "त्रैलोक्य में वैशाख मास से श्रेष्ठ कोई मास नहीं है। इसमें किया गया एक जलदान भी अश्वमेध यज्ञ के बराबर फल देता है। जो मनुष्य इस मास में श्रद्धा से पुण्य कर्म करता है, वह मोक्ष का अधिकारी बनता है।" श्रीकृष्ण ने भी धर्मराज युधिष्ठिर को उपदेश देते हुए कहा था कि वैशाख मास में प्रातःकाल तीर्थों में स्नान, व्रत और दान करने वाला व्यक्ति समस्त पापों से मुक्त होकर विष्णुलोक को प्राप्त करता है। विशेषकर इस मास की एकादशी, अक्षय तृतीया, पूर्णिमा और अमावस्या जैसे पर्व अत्यंत शुभ माने जाते हैं।
वैशाख मास के नियम
वैशाख मास केवल त्योहारों का नहीं, बल्कि संयम और साधना का समय भी है। इस मास में कुछ नियमों का पालन करने से व्यक्ति शारीरिक, मानसिक और आत्मिक रूप से शुद्ध होता है
ब्राह्ममुहूर्त में स्नान – सूर्योदय से पूर्व गंगा, यमुना, नर्मदा जैसी नदियों में स्नान करने का विशेष पुण्य है। यदि संभव न हो तो घर में ही सूर्योदय से पूर्व स्नान करें।
व्रत और उपवास – इस मास में एकादशी, अक्षय तृतीया, पूर्णिमा आदि पर्वों पर उपवास रखें, सात्त्विक आहार लें और भगवान विष्णु के नाम का स्मरण करें।
दान और सेवा – अन्न, वस्त्र, जल, छाता, पंखा, गुड़, चप्पल, जल से भरे घड़े और गौ आदि का दान करें। प्याऊ लगवाना, भूखों को भोजन कराना और प्यासों को जल देना अत्यंत पुण्यकारी है।
सात्त्विक जीवनशैली – इस मास में मांस, मदिरा, तामसिक भोजन, झूठ, निंदा, क्रोध और द्वेष से दूर रहें। संयमित आहार-विहार का पालन करें।
भगवत भक्ति और पाठ – भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप, विष्णुसहस्रनाम का पाठ, तुलसी सेवा, दीपदान और श्रीमद्भागवत श्रवण विशेष लाभदायक है।
ब्राह्मण सेवा – ब्राह्मणों को यथाशक्ति भोजन कराएं, दक्षिणा दें, धार्मिक ग्रंथों का वितरण करें या धार्मिक आयोजन करें।
वृक्षारोपण और गौसेवा – पर्यावरण की दृष्टि से पेड़ लगाना, जल संरक्षण करना और गौसेवा करना भी इस मास में विशेष पुण्यदायी माना गया है।
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